अमन्त्रमक्षरं नास्ति नास्ति मूलमनौषधम्। अन्वय अर्थ हिन्दी अनुवाद
अमन्त्रमक्षरं नास्ति नास्ति मूलमनौषधम्।
अयोग्यः पुरुषो नास्ति योजकस्तत्र दुर्लभः॥
श्लोक का पदच्छेद और हिन्दी अनुवाद
- · अमन्त्रम् – मन्त्रहीन, बिना किसी काम का, बेकार,
- · अक्षरम् – अ, आ, ई, क्, ख् ग, इत्यादि अक्षर
- · न – नहीं
- · अस्ति है
- · नास्ति – नहीं है
- · मूलम् – जड़
- · अनौषधम् – जो दवा न हो
- · अयोग्यः – बिना किसी काम का, बेकार, फालतू
- · पुरुषः – आदमी
- · नास्ति – नहीं है
- · योजकः – जोड़ने वाला
- · तत्र – वहाँ
- · दुर्लभः – मुष्किल से मिलने वाला
श्लोक का अन्वय
(अस्मिन् विश्वे किमपि) अक्षरम् अमन्त्रं न अस्ति, (किमपि) मूलम् अनौषधं न अस्ति। (कोऽपि) पुरुषः अयोग्यः नास्ति, तत्र योजकः दुर्लभः (अस्ति)।
सुभाषित श्लोक का हिन्दी अनुवाद
इस दुनिया में कोई भी अक्षर बेकार नहीं है, किसी भी पेड़ की जड़ ऐसी नहीं है कि जो दवा ना हो, कोई भी पुरुष बेकार नहीं है। वहाँ (सभी चीजों को) जोड़ने वाला दुर्लभ है।
सुभाषित का भावार्थ
इस दुनिया में कोई भी वस्तु बेकाम नहीं है।
जैसे कोई भी शब्द बेकार नहीं होता। उसका कोई ना कोई अर्थ जरूर होता है। किसी भी पेड़ की जड़ (और बाकी अवयव भी) बेकार नहीं होते, उनसे कोई ना कोई औषधि जरूर बनती ही है।
उसी प्रकार कोई भी मनुष्य (चाहे वह कैसा भी हो) बेकार नहीं होता।
बस इस दुनिया में कमी है ऐसे लोगों की जो हर चीज का उपयोग समझ कर उनको सही तरीके से इस्तेमाल में ला सके।
व्याकरण
सन्धि
सवर्ण दीर्घ सन्धि
नास्ति
– न + अस्ति
उत्व और गुण
पुरुषो नास्ति
– पुरुषः + नास्ति
सत्व (विसर्गस्य स्)
योजकस्तत्र
– योजकः + तत्र
समास
नञ् तत्पुरुष
अमन्त्रम्
– न मन्त्रम्
अक्षरम्
– न क्षरम्
अनौषधम्
– न औषधम्
अयोग्यः
– न योग्यः
प्रत्यय
योजकः
– युज् + ण्वुल्
ज्ञान बांटने से बढ़ता है।
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