एकेन राजहंसेन या शोभा सरसो भवेत्। अन्योक्ति का हिन्दी स्पष्टीकरण
अन्योक्ति यह शब्द भी दो शब्दों से मिलकर बना है । पहला है अन्य, और दूसरा है उक्ति। अन्य + उक्ति = अन्योक्ति । यहां गुण संधि के नियम से दो शब्द आपस में जुड़े हुए हैं ।
- अन्य – दूसरा
- उक्ति – कहा गया वाक्य
अन्योक्ति श्लोक
एकेन राजहंसेन या शोभा सरसो भवेत्। न सा बकसहस्रेण परितस्तीरवासिना॥१॥
अन्योक्ति श्लोक का रोमन लिप्यन्तरण
Roman transliteration
ekena rājahaṃsena yā śobhā saraso bhavet।
na sā bakasahasreṇa paritastīravāsinā॥
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शब्दार्थ
- एकेन – एक
- राजहंसेन – राजहंस (पक्षी) से
- या – जो
- शोभा – शोभा, सुन्दरता
- सरसः – तालाब की
- भवेत् – होती हो, होनी चाहिए
- न – नहीं
- बकसहस्रेण – सैकड़ो बगुलों से
- परितः – चारों ओर से
- तीरवासिना – किनारे पर रहनेवालों से
हम इस श्लोक को हिन्दी भाषा के माध्यम से पढ रहे हैं। तो अब हम इस श्लोक में मौजूद संस्कृत शब्दों को हिन्दी भाषा के अनुरूप फिर से क्रमबद्ध करेंगे। इस प्रकार से हिन्दी के हिसाब से शब्दों का क्रम पुनः लागाने की प्रक्रिया को अन्वय कहते हैं। इस अन्वय प्रक्रिया में कभी कभी कुछ कुछ शब्द अपने मन से भी लिखने पडते हैं। तो अब हम इस श्लोक का अन्वय करेंगे।
अन्वय
एकेन राजहंसेन सरसः या शोभा भवेत्, परितः तीरवासिना बकसहस्रेण सा (शोभा) न (भवति)।
हिन्दी अनुवाद
एक राजहंस से तालाब की जो शोभा होती है, चारों तरफ से किनारे पर रहने वाले सैंकड़ो बगुलों से वह शोभा नहीं होती है।
संस्कृतेन भावार्थः
प्रतिदिनं सरोवरं परितः अनेके बकाः निवसन्ति। परन्तु तेन सरोवरस्य शोभा न भवति। परन्तु तस्मिन् एव सरोवरे यदि एकः अपि राजहंसः अस्ति तर्हि तेन एव सः सरोवरः शोभते।
अन्योक्ति का स्पष्टीकरण
अगर देखा जाए तो इस श्लोक का अर्थ स्पष्ट है। किसी नदी के पानी में अगर एक ही राजहंस जैसा बहुत सुन्दर पक्षी बैठ कर तैर रहा हो, तो वह स्थान बहुत सुन्दर दिखाई देता है। नहीं तो नदी के किनारे पर तो हर तरफ से हजारों बगुले तो बैठते ही हैं। परन्तु उनसे वह नदी का वह सौन्दर्य नहीं दिखता जो केवल एक राजहंस के आने से दिखता है।

इस अन्योक्ति का इशारा हमरे मानव समाज की ओर है। जैसे कि हम देख सकते हैं कि किसी एक ही गुणवान् व्यक्ति सम्पूर्ण समाज को सुशोभित कर देती है। उस एक महान् व्यक्ति के होने से जो प्रतिष्ठा और सन्मान समाज को प्राप्त होता है वैसा साधारण व्यक्तियों की हजारों की संख्या से भी नही मिलता।
जैसे कि हम देख सकते हैं कि सम्पूर्ण भारतवर्ष में करो़डो की संख्या में आबादी रहती है। परन्तु भारतमाता के कुछ चुनिन्दा सुपुत्रों ने ही भारत का नाम पूरी दुनिया में रौशन किया है। जैसे की महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, महात्मा गान्धी, भगतसिंह इत्यादि.
सहस्र या सहस्त्र?
एक और बात को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि हज़ार, thousand इस अर्थ में सहस्र यह शब्द संस्कृत भाषा में है। और बहुत सारे लोग इसे सहस्त्र ऐसा पढते हैं। हमारी देवनागरी लिपि में सहस्र और सहस्त्र इन में ज्यादा अन्तर नहीं दिखाई पडता। कदाचित यहां मुद्रित अक्षर हैं तो किंचित दिखाई भी पडता है। परन्तु हाथ से लिखित अक्षरों में तो लोग लिखते समय इस बात की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। और सहस्र या सहस्त्र, जो मन में आए लिखते हैं, बोलते हैं। सर्वप्रथम हम इस का वर्णविच्छेद देखते हैं –
- स् + अ + ह् + अ + स् + र् + अ
यहां अन्त में स् + र् + अ ऐसा संयोग हो रहा है। जिसे स्र ऐसे लिखते हैं। परन्तु ज्यादातर लोग इसे स्त्र ऐसा लिखते हैं। जिसका विच्छेद होता है – स् + त् + र् + अ।
इसे रोमन लिपिद्वारा लिखने पर अन्तर अधिक स्पष्ट रूप में दिखता है।
Sahasra – Sahastra
अन्योक्ति पर आधारित प्रश्न
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ज्ञान बांटने से बढ़ता है।
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