श्लोक

नमामि शारदां देवीं – संस्कृत श्लोक – Hindi Translation

नमामि शारदां देवीं वीणापुस्तकधारिणीम्।
विद्यारम्भं करिष्यामि प्रसन्नाऽस्तु च सा सदा॥

शब्दार्थ

  • नमामि – नमनं करोमि। मैं नमन करता हूँ
  • शारदाम् – शारदा को
  • देवीम् – देवी को
  • वीणापुस्तकधारिणीम् – वीणा और पुस्तक को धारण करने वाली को
  • विद्यारम्भम् – विद्यायाः प्रारम्भम्। पढ़ाई की शुरुआत
  • करिष्यामि – करूँगा / करने वाला हूँ।
  • प्रसन्ना – सन्तुष्टा। खुश
  • अस्तु – रहें
  • सा – वह
  • सदा – सर्वदा। हमेशा

अन्वय

हिन्दी अर्थ के अनुसार शब्दों का योग्य क्रम

(अहं) वीणापुस्तकधारिणीं शारदां देवीं नमामि। (अहं) विद्यारम्भं करिष्यामि। (अतः) सा सदा प्रसन्ना अस्तु।

हिन्दी अनुवाद

नमामि शारदां देवीं इस श्लोक का उपर्युक्त अन्वय के अनुरूप हिन्दी अनुवाद

मैं वीणा और पुस्तक को धारण करने वाली शारदा देवी को नमन करता हूँ। मैं पढ़ाई की शुरुआत करने वाला हूँ। इसीलिए वह हमेशा (मुझ पर) प्रसन्न रहे।

कक्षा कौमुदी

नमामि शारदां देवीम् ……

माता सरस्वती को भारतीय संस्कृती में ज्ञान, विद्या, संगीत तथा वाणी की अधिष्टात्री देवी माना गया है। हिन्दू, जैन तथा बौद्ध धर्मग्रन्थों में माता सरस्वती को माता सरस्वती का ज्ञानविद्यादि की देवी के रूप में वर्णित किया गया है। और किसी भी छात्र को विद्यार्जन करने के लिए अपनी बुद्धि के साथ-साथ माता सरस्वती की कृपा भी ज़रूरी होती है। इसीलिए इस श्लोक में कहा गया है – नमामि शारदां देवीं वीणापुस्तकधारिणीम्।

और हर बार पढ़ना आरंभ करने से पहले इस श्लोक के द्वारा हम माता सरस्वती से प्रार्थना कर सकते हैं। माता सरस्वती की प्रसन्नता हमेशा बनी रहे यही कामना इस श्लोक के माध्यम से की जाती है। – विद्यारम्भं करिष्यामि प्रसन्नास्तुच सा सदा।

जरा सोचिए, पढ़ने से पहले यदि हम माता शारदा का (अथवा अपने इष्ट देवता का) स्मरण करते हैं तो यह बात ज़ाहिर है कि इसका हमारी मानसिकता पर बहुत अच्छा परिणाम होता है। साक्षात् माता सरस्वती का आशीर्वाद हमारे साथ होने की भावना ही हमें और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है।

Namami Shardam Devim Veena Pustak Dharinim - word to word Hindi Translation
नमामि शारदां देवीं वीणापुस्तकधारिणीम्

पढ़ने से पहले माता सरस्वती का स्मरण क्यों करना चाहिए

हम यह बिल्कुल भी नहीं कहते हैं कि माता सरस्वती के स्मरण से ही हम विद्यावान् हो जाएंगे। यदि ऐसा होता तो पढ़ाई कौन करता? परन्तु हम श्लोकपठन से यदि पढ़ाई आरंभ करते हैं, तो इस बात का हमारे मन पर बहुत अच्छा परिणाम होता है। और हमे विश्वास है कि यदि सच्ची श्रद्धा से हम माता शारदा का स्मरण करते हैं, तो अवश्य ही माता सरस्वती हमें बहुत अच्छे से पढ़ने की प्रेरणा, शक्ति और उत्साह प्रदान करती है।

जैसे कोई छोटा शिशु जब चलने की कौशिश करता है, तो बालक की माँ उसे अपनी उंगली के सहारे चलती है। ठीक वैसे ही माँ शारदाभी हमारी मदद करती है।

यहाँ ध्यान रहें की माता हमें मदद करती है। बाकी चलना तो हमें खुद ही है। यदि माँ शिशु को चलने में मदद ना भी करे, तो भी शिशु अपने आप कभी ना कभी चल ही लेगा। लेकिन साथ में माता की प्रसन्नता और प्रेम भरी मदद हो तो शिशु का जीवन बहुत सुकर हो जाता है।

इसीलिए छात्रों को पढ़ाई के साथ साथ माता शारदा की भी आराधना सदैव करनी चाहिए।

संस्कृत भावार्थ

छात्राः यदा विद्यायाः प्रारम्भं कुर्वन्ति तदा तेभ्यः मातुः शारदायाः कृपा आवश्यकी वर्तते। अतः छात्रः मातरं शारदां नमनं कृत्वा विद्यायाः आरम्भं करोति। सरस्वत्याः हस्ते वीणा तथा पुस्तकानि भवन्ति। अतः शारदा विद्यायाः देवी। शारदा सङ्गीतस्य अपि अधिष्ठात्री देवी। सा शारदा देवी सर्वदा प्रसन्ना भवतु इति प्रार्थना छात्रः विद्यारम्भे एव करोति।

व्याकरण

सन्धि

विद्यारम्भम्

  • विद्या + आरम्भम्
  • सवर्णदीर्घ

प्रसन्नाऽस्तु

  • प्रसन्ना + अस्तु
  • सवर्णदीर्घ

समास

वीणापुस्तकधारिणीम्

विद्यारम्भम्

  • विद्यायाः आरम्भम्
  • षष्ठी तत्पुरुष

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