प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः। हिन्दी अनुवाद। शब्दार्थ। अन्वय॥
मीठे बोलने से हमारा क्या नुकसान होता है? कुछ भी नहीं।
यदी मीठे बोलने से कुछ नुकसान नहीं होता, अपितु फायदा ही होता है। तो मीठा ही क्यों ना बोले?
इस विचार को इस संस्कृत सुभाषित में बहुत अच्छे से व्यक्त किया है।
संस्कृत श्लोक
प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति मानवाः।
तस्मात् प्रियं हि वक्तव्यं वचने का दरिद्रता॥
श्लोक का रोमन लिप्यन्तरण
Roman transcription of the Shloka
priyavākyapradānena sarve tuṣyanti mānavāḥ।
tasmāt priyaṃ hi vaktavyaṃ vacane kā daridratā॥
वीडिओ द्वारा श्लोक का अध्ययन
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श्लोक का शब्दार्थ
- प्रियवाक्यप्रदानेन – प्रिय वाक्य देने से (बोलने से)
- सर्वे – सभी
- तुष्यन्ति – सन्तुष्ट होते हैं
- जन्तवः – जीवाः। सभी प्रकार के प्राणी
- तस्मात् – अतः। इसीलिए
- तदेव – तत् + एव – वही
- वक्तव्यम् – बोलना चाहिए
- वचने – बोलने में
- का – कौन सी
- दरिद्रता – गरीबी
श्लोक का अन्वय
सर्वे जन्तवः प्रियवाक्यप्रदानेन तुष्यन्ति। तस्मात् तत् एव वक्तव्यम्। (यतः) वचने का दरिद्रता (भवति)?
श्लोक का हिन्दी अर्थ
सभी प्राणी प्रिय वाक्य बोलने से सन्तुष्ट हो जाते हैं। इसीलिए वही बोलना चाहिए। क्योंकि बोलने में कौनसी गरीबी होती है?
यदि आप को इस श्लोक से संबंधित अथवा संस्कृत विषय में अन्य कोई भी शंका, समस्या अथवा प्रश्न हो, तो निःशंक हो कर पूछ सकते हैं।
धन्यवाद।
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3 टिप्पणियाँ
Amit singh
अतिसर्वनाशहेतुर्ह्यतोअत्यंतं विवर्जयेत का हिन्दी मे अर्थ बताईए।
admin
किसी भी चीज की ज्यादती नाश का कारण बनती है। अतः ज्यादती का त्याग करना चाहिए।
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