सुभाषित

मृगा मृगैः सङ्गमनुव्रजन्ति। शब्दार्थ अन्वय श्लोक का हिन्दी अनुवाद

क्या आप किसी व्यक्ति के बारे में जानना चाहते हैं?

यह संस्कृत सुभाषित आप को बता सकता है कि आप जिस व्यक्ति के बारे में जानना चाहते हैं वह व्यक्ति कैसी है।

श्लोक का वीडिओ

इस वीडिओ में मृगा मृगैः संगमनुव्रजन्ति इस श्लोक को समझाया है। यदि आप विस्तार से इस श्लोक के बारे में पढना चाहते हैं तो इस लेख को पढ़ना जारी रखिए।

श्लोक

मृगा मृगैः सङ्गमनुव्रजन्ति
गावश्च गोभिः तुरगास्तुरङ्गैः।
मूर्खाश्च मूर्खैः सुधियः सुधीभिः
समान-शील-व्यसनेषु सख्यम्॥

श्लोक का रोमन लिप्यन्तरण

mṛgā mṛgaiḥ saṅgamanuvrajanti
gāvaśca gobhiḥ turagāsturaṅgaiḥ|
mūrkhāśca mūrkhaiḥ sudhiyaḥ sudhībhiḥ
samāna-śīla-vyasaneṣu sakhyam||

श्लोक का पदच्छेद और शब्दार्थ

  • मृगाः – हरिणाः। हिरणें, deers
  • मृगैः सङ्गम् – हरिणैः सह। हिरणों के साथ with deers
  • अनुव्रजन्ति – पीछे घूमति हैं, follow
  • गावः (गो शब्द, बहुवचन) – धेनवः। गाएं, cows
  • च – और, and
  • गोभिः – गौओं के (साथ), with cows
  • तुरगाः – अश्वाः। घोटकाः। घोड़ें, horses
  • तुरङ्गैः – घोड़ों के (साथ), with horses
  • मूर्खाः – बुद्धिहीनाः। मूर्ख लोग, fools
  • च – और, and
  • मूर्खैः – मूर्खों के (साथ), with fools
  • सुधियः (सुधी शब्द, बहु॰) – बुद्धिमन्तः। बुद्धिमान् लोग, intilegents
  • सुधीभिः – बुद्धिमानों के साथ, with intilegents
  • समान-शील-व्यसनेषु – समान शील और व्यसन वालों में, among those with similar modesty and addictions

सख्यम् – मित्रता। दोस्ती (होती है), friendship

श्लोक का अन्वय

(यथा) मृगाः मृगैः, गावः च गोभिः, तुरगाः तुरङ्गैः सङ्गम् अनुव्रजन्ति। (तथा एव) मूर्खाः च मूर्खैः, सुधियः सुधीभिः (सङ्गम् अनुव्रजन्ति)। (अतः) समानशीलव्यसनेषु सख्यम् (भवति)।

श्लोक का हिन्दी अर्थ

जैसे हिरणें हिरणों के, और गाएं गौओं के, घोड़े घोड़ों के साथ पीछे घूमते हैं। वैसे ही मूर्ख मूर्खों के और बुद्धिमान् बुद्धिमन्तों के साथ घूमते हैं। इसीलिए (हम कह सकते हैं कि) समान शील और व्यसनियों में दोस्ती होती है।

English translation of the Shloka

Deer follows deer, crows follow crows and horses follow horses. In the same way, fools follow fools and wise people follow the wise people. That is why we can say that there is a friendship among those with similar modesty, habits and addictions.

श्लोक का स्पष्टीकरण

इस श्लोक में कुछ पशुओं के उदाहरण से यह बताया है कि आप के मित्रों से आप की पहचान हो सकती है। अथवा दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि आप जैसी तरह के व्यक्ति होते हैं उस ही तरह के लोगों के साथ आप की मित्रता होती है।

हिरण हिरणों के ही पीछे जाता है। कौआ कौओं के ही पीछे जाता है। ठीक वैसे ही कोई बुद्धिमान् मनुष्य किसी बुद्धिमान् के ही साथ रह सकता है। मूर्खों के साथ बुद्धिमान् व्यक्ति की नहीं बन सकती है। मूर्ख लोग भी मूर्खों के ही साथ रहते हैं।

इस श्लोक से हमें यह भी समझता है कि यदि आप किस व्यक्ति की पहचान करना चाहते हैं, तो उसके मित्रों की तलाश कीजिए। उसके मित्र जिस तरह के होगे, वह व्यक्ति भी उस ही तरह की होगी।

श्लोक का व्याकरण

सन्धिः

मृगा मृगैः

  • मृगाः + मृगैः
  • विसर्गलोपः

गावश्च

  • गावः + च
  • सत्वम् – विसर्गस्थाने श्

तुरगास्तुरङ्गैः

  • तुरगाः + तुरङ्गैः
  • सत्वम् – विसर्गस्थाने स्

मूर्खाश्च

  • मूर्गाः + च
  • सत्वम् – विसर्गस्य श्

समास

समान-शील-व्यसनेषु

  • शीलं च व्यसनानि च = शीलव्यसनानि  …. इतरेतर द्वन्द्व समास
  • समानानि शीलव्यसनानि येषां ते = समानशीलव्यसनाः, तेषु …. बहुव्रीहि समास