वेदों का रचना काल
मैक्समूलर के मत से वेदों का रचना काल
मैक्समूलर के अनुसार वेदों का रचना काल ई॰पू॰ १२०० वर्ष है।
जैकोबी के मत से वेदों का रचनाकाल
जैकोबी ने ज्योतिषीय गणना की। और उनकी ज्योतिषीय गणना के अनुसार वेदों का रचना काल ई॰पू॰ ४५०० वर्ष निकलता है।
बालकगंगाधर तिलक के मत से वेदों का रचनाकाल
बालगंगाधर तिलक जी ने भी वेदों की रचना ज्योतिषीय गणना के आधार पर की। इनकी गणना के अनुसार वेदों की रचना का समय ई॰पू॰ ४००० से ६००० वर्ष बनता है।
वेबर के मत से वेदों का रचनाकाल
वेबर के मत से वेदों का रचनाकाल ई॰पू॰ १५०० वर्ष है।
डा॰ अविनाशचन्द्र के मत से वेदों का रचनाकाल
डा॰ अविनाशचन्द्र के मत से वेदों का रचनाकाल ई॰पू॰ २५००० वर्ष है।
विंटरनिट्झ के मत से वेदों का रचनाकाल
इनके मत से वेदों की रचना ई॰पू॰२००० से २५०० वर्ष हुई है।
महर्षि दयानन्द के मत से वेदों का रचनाकाल
महर्षि दयादनन्द ने वेदों का रचनाकाल सृष्टि की रचना के साथ ही माना है।
भारतीय परम्परागत विचार से वेदों का रचना काल
भारत में वेदों को अपौरुषेय मानते हैं। अपौरुषेय यानी किसी भी पुरुष ने इनकी रचना नहीं की है। अतः वेदों के रचनाकाल के विषय में भारतीय परम्परा में अधिक विचार-विमर्श नहीं हुआ है।
ज्ञान बांटने से बढ़ता है।
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2 टिप्पणियाँ
शिवशंकरक्धर्मादरूढी बलीयसी आटोळे
हरिः ॐ
शिवशंकरक्धर्मादरूढी बलीयसी आटोळे
वाह