वेद शब्द का अर्थ क्या है
वेदेन वै देवा असुराणां वित्तं वेद्यम् अविन्दन्त तद् वेदस्य वेदत्वम्।
वेद शब्द का व्याकरणदृष्ट्या अर्थ
वेद इस शब्द की व्युत्पत्ति विद् इस धातु से होती है।
विद् धातु से घञ् प्रत्यय लगाकर वेद यह शब्द सिद्ध होता है।
- विद् + घञ् – वेद
परन्तु यहाँ परेशानी की बात यह है कि, धातुपाठ में केवल एक ही विद् नहीं है। अलग अलग अर्थों वाले अनेक विद् धातु हैं। उनमें से चार धातुओं को लेकर महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपनी व्याख्या के द्वारा वेद शब्द का अर्थ बहुत अच्छे से बताया है।
महर्षि दयानन्द सरस्वती के अनुसार वेद की व्याख्या
विदन्ति जानन्ति, विद्यन्ते भवन्ति, विन्दन्ति विन्दन्ते लभन्ते, विन्दते* विचारयन्ति सर्वे मनुष्याः सर्वाः सत्यविद्याः यैर्येषु वा तथा विद्वांसश्च भवन्ति ते वेदाः।
– महर्षि दयानन्द सरस्वती
इसमें महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने इस व्याख्या में वेद शब्द का अर्थ बताने के लिए चार धातुओं का प्रयोग किया है –
- विदँ – ज्ञाने
- विदन्ति – जानन्ति। जानते हैं
- विदँ – सत्तायाम्
- विद्यन्ते – भवन्ति। विद्यमान होते हैं
- विदॢँ – लाभे
- विन्दन्ति / विन्दन्ते – लभन्ते। प्राप्त करते हैं
- विदँ – विचारणे
- विन्दते – विचारयन्ति। सोचते हैं
(* विन्दते – लट् लकार – प्रथमपुरुष बहुवचन)
सायणाचार्य के मत से वेद की व्याख्या
इष्टप्राप्त्यनिष्टपरिहारयोरलौकिकमुपायं यो ग्रन्थो वेदयति स वेदः।
– सायणाचार्यः
इष्टप्राप्ति – अनिष्टपरिहारयोः लौकिकम् उपायं यः ग्रन्थः वेदयति सः वेदः।
अर्थात् जो ग्रन्थ इष्टप्राप्ति और अनिष्ट के परिहार का लौकिक उपाय बताता है, वह वेद है।
इस प्रकार से सायणाचार्य ने अपने शब्दों में वेद शब्द का अर्थ बताया है।
वेद शब्द दो रूपों में पाया जाता है –
- आद्युदात्त – आदि + उदात्त
- अन्त्युदात्त – अन्त्य + उदात्त
ज्ञान बांटने से बढ़ता है।
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