शुचिपर्यावरणम् । श्लोक ५। हरिततरूणां ललितलतानाम्। कक्षा दशमी – शेमुषी । CBSE संस्कृतम्
हरिततरूणां ललितलतानां माला रमणीया।
कुसमावलिः समीरचालिता स्यान्मे वरणीया॥
नवमालिका रसालं मिलिता रुचिरं संगमनम्। शुचिपर्यावरणम् ….॥५॥
शब्दार्थ
- हरिततरूणाम् – हरे पेड़ों की
- ललितलतानाम् – सुन्दर लताओं की
- माला – हार
- रमणीया – सुन्दर
- कुसमावलिः – फूरों की कतार
- समीरचालिता – हवा से लहराने वाली
- स्यात् – हो जाए
- मे – मेरे लिए / मेरी
- वरणीया – स्वीकरणीया। अंगीकार करने योग्य
- नवमालिका – एक सुगन्धी फूलों की लता
- रसालम् – आम के पेड को
- मिलिता – मिल गई है
- रुचिरम् – बहुत अच्छा, आनन्ददायी
- संगमनम् – मेलनम्। मिलाप
अन्वय
(वने) हरिततरूणां ललितलतानां (च) माला रमणीया (अस्ति)। समीरचालिता कुसुमावलिः मम वरणीया स्यात्। नवमालिका रसालं मिलिता (स्यात्)। (एतत्) संगमनं रुचिरं (भविष्यति।)
हिन्दी में अनुवाद
भावार्थ
कविता के द्वितीय श्लोक में कवि ने शहरों में दौड़ने वाली गाड़ियों की कतार का उल्लेख किया था। वाष्पयानमाला यानी रेलगाड़ी का उल्लेख किया है। जो चींखते हुए जाती है। बहुत प्रदूषण होता है।
परंतु इस श्लोक में कवि वन का वर्णन करते हैं। वन में तरह-तरह के वृक्ष होते हैं। और ऐसे वृक्षों पर सुंदर-सुंदर लताएं चढ़ती है। एक तरफ शहरों में मोटरों और रेलगाड़ियों माला है। तथा दूसरी तरफ जंगल में रमणीय वृक्षों के और लताओं की माला है।
शहरों में गाड़ियों की माला जहरीला धुआं छोड़ती है, कर्कश आवाज़ में चींखती हैं तो दूसरी तरफ जंगल में हवा के झोंके से लहराने वाली फूलों की माला होती हैं। हमें किसका वरण (स्वीकार) करना चाहिए? ज़ाहिर है, फूलों की माला ही हमारे लिए वरणीय (स्वीकार करने योग्य) है।
नवमालिका
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नवमालिका रसालं मिलिता |
नवमालिका यह एक सुन्दर और सुगन्धी फूलों वाली लता होती है। यह लता यदि आम के पेड़ पर चढ़ जाए तो वह दृश्य कितना सुन्दर होगा। एक तरफ सुन्दर और सुगन्धी नवमालिका और दूसरी तरफ मीठे आम का पेड़।
यह मिलाप बहुत ही उत्तम होता है।
संस्कृत भावार्थ
हिन्दी अर्थ
व्याकरण
सन्धि
- स्यात् + मे
- अनुनासिकत्वम्।
समास
- हरितानां तरूणाम् – अथवा
- हरिताः तरवः हरिततरवः, तेषाम्।
- कर्मधारयः
ललितलतानाम्
- ललितानां लतानाम् – अथवा
- ललिताः लताः ललितलताः, तासाम्
- कर्मधारयः
कुसुमावलिः
- कुसुमानाम् आवलिः
- षष्ठीतत्पुरुषः
समीरचालिता
- समीरेण चालिता
- तृतीयातत्पुरुषः
प्रत्यय
- रमणीया – रम् + अनीयर् + टाप्
- चालिता – चल् + णिच् + क्त + टाप्
- वरणीया – वृ + अनीयर् + टाप्
- मिलिता – मिल् + क्त + टाप्
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