संस्कृत नाटक
नाकक की उत्पत्ति के विभिन्न मत
ऋग्वेद के संवाद सूक्तों में नाटक के तत्त्व मिलते हैं। रामायण में भी नाटक के अस्तित्व के प्रमाण मिलते हैं। जैसे कि –
नाराजके जनपदे प्रहृष्टनटनर्तका:। उत्सवाश्च समाजाश्च वर्धन्ते राष्ट्रवर्धना:॥ १५॥
– इति अयोध्या॰ वाल्मीकि॰
डॉ॰ रिजवे के अनुसार नाटकोत्पत्ति का स्रोत वीरपूजा है। यूनान में नाटक का जन्म दिवंगत पुरुषों के प्रति किए गए सन्मान से हुआ। और इसी से आगे चलकर नाटक व्युत्पन्न हुए।
जर्मन विद्वान पिशेक के अनुसार नाटकोद्भव पुतलिका-नृत्य से हुआ।
संस्कृत नाटककार
भास
रामकथा पर आधारित भास के नाटक
- प्रतिमानाटक
- अभिषेक
महाभारत पर आधारित भास के नाटक
- पञ्चरात्र
- मध्यमव्यायोग
- दूतघटोत्कच
- दूतवाक्य
- ऊरुभंग
- कर्णभार
कृष्णकथा पर आधारित नाटक
- बालचरित
लोककथा पर आधारित नाटक
- दरिद्रचारुदत्त
- अविमारक
उदयनकथा पर आधारित नाटक
- प्रतिज्ञायौगन्धरायण
- स्वप्नवासवदत्त
शूद्रक
इनका एक ही नाटक उपलब्ध है – मच्छकटिकम्
विशाखदत्त
इनका भी एक ही नाटक है – मुद्राराक्षस
भवभूति
इनकी तीन रचनाएं हैं –
- मालतिमाधव
- महावीरचरित
- उत्तररामचरित
अम्बिकादत्त व्यास
इनका शिवराजविजय यह नाटक प्रसिद्ध है।
हर्ष
इनके तीन नाटक हैं –
- प्रियदर्शिका
- रत्नावली
- नागानन्द
भट्टनारायण
इनका वेणीसंहार यह महाभारत पर आधारित नाटक प्रसिद्ध है।
पण्डिता क्षमाराव
- सत्याग्रहगीता
- कथापञ्चक
- शंकरजीवनाख्यान
- मीरालहरी
- उत्तरसत्याग्रहगीता
- श्रीतुकारामचरित
- श्रीरामदासचरित
- ग्रामज्योति
- श्रीज्ञानेश्वरचरित
- स्वराज्यविजय
श्रीधर भास्कर वर्णेकर
- विवेकानन्दविजय
- शिवराज्योदय
ज्ञान बांटने से बढ़ता है।
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