सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता। अर्थ, अन्वय, हिन्दी अनुवाद
क्या आप महान् बनना चाहते हैं?
संस्कृत सुभाषितकारों ने महान लोगों का लक्षण इस श्लोक में लिख दिया है। यदि हमने महान लोगों के इस लक्षण को समझ लिया, तो हम भी महान बन सकते हैं।
श्लोक
सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता। उदये सविता रक्तो रक्तश्चास्तमये तथा॥
रोमन लिप्यन्तरण
sampattau ca vipattau ca mahatāmekarūpatā|
udaye savitā rakto raktaścāstamaye tathā||
श्लोक का पदच्छेद
सम्पत्तौ च विपत्तौ च महताम् एकरूपता। उदये सविता रक्तः रक्तः च अस्तमये तथा॥
श्लोक का वीडिओ
इस श्लोक को विस्तार से समझने के लिए इस लेख को पढ़ना जारी रखिए।
श्लोक का शब्दार्थ
- सम्पत्तौ – अमीरी में
- च – और
- विपत्तौ – मुश्किली में
- च – और
- महताम् – महान लोगों की
- एकरूपता – समान स्थिति होती है
- उदये – उगने पर
- सविता – सूर्यः। भानुः। रविः। सूरज
- रक्तः – लाल (होता है)
- रक्तः – लाल
- च – और
- अस्तमये – अस्तकाले। डूबते वक्त
- तथा – वैसे ही
श्लोक का अन्वय
महतां (जनानां) सम्पत्तौ त विपत्तौ च एकरूपता (भवति)। (यथा) सविता उदये रक्तः (भवति), तथा च अस्तमये (अपि) रक्तः (भवति)॥
हिन्दी अनुवाद
श्लोक का हिन्दी भाषा में सरल अनुवाद
महान लोगों की अमीरी में और मुश्किली में समान स्थिति होती है। जैसे कि सूर्य उगते समय लाल होता है और वैसे ही डूबते वक्त भी लाल ही होता है।
स्पष्टीकरण
सूर्य महान् है। जब उसका उदय होता है और जब सूर्य का अस्त होता है, तो इन दोनों भी अवस्थाओं में हमें सूर्य एकसमान ही स्थिति में दृष्टिगोचर होते हैं। महान लोग भी ऐसे ही होते हैं।
महान लोगों की एक खासीयत होती है। जब उनके पास पैसा होता है तब और जब उनके पास पैसा नहीं होता है तब, दोनों भी स्थितियों में वे एकसमान ही व्यवहार करते हैं।

अर्थात् जब उनके पास पैसा होता है, तब वे शान्त रहते हैं। और ऐसी शान्ति की स्थिति में वे अपने पैसों के सोच विचार के साथ खर्च करते हैं। घमंड में नहीं जाते हैं। और अपनी खुशहाली बरकरार रखते हैं। इसके विपरीत जब पैसा ना हो, तब भी वे शान्त ही रहते हैं। हड़बड़ी में गलत निर्णय नहीं लेते। और शान्ति से अपनी परिस्थिति को सवार लेते हैं। इसीलिए वे महान बन सकते हैं।
दूसरे पक्ष में हम जैसे लोग अधिक धन पाने के बाद उछलकूद करते हैं और पैसा खत्म होने पर रोते रहते हैं। इस बात को समझाने के लिए श्लोक में एक उदाहरण दिया है। यह उदाहरण है सूर्य का।
इस श्लोक से हमें यही सीखना चाहिए कि परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, हमें उसका असर खुद पर नहीं होने देना चाहिए।
व्याकरण
सन्धि
रक्तो रक्तश्चास्तमये
- रक्तः + रक्तः + च + अस्तमये
- १) उत्व, गुण २) सत्व (विसर्गस्य स्थाने श्) ३) सवर्ण दीर्घ
समास
वैसे यहाँ समास नहीं है। लेकिन समास करने के लिए एक अच्छा उदाहरण है।
सम्पत्तौ च विपत्तौ च
- सम्पतिविपत्त्योः …. इतरेतर द्वन्द्व समास
ज्ञान बांटने से बढ़ता है।
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