सरमा पणि संवाद सूक्त
सरमा पणि संवाद सूक्त ऋग्वेद में (१०।१०८) पाया जाता है। इस सूक्त के ऋषि पणि तथा देवता सरमा देवशुनी हैं। इस सूक्त का छन्द त्रिष्टुप् है।
यदि आप इस सूक्त को पढ़ना चाहिते हैं तो इस जालसूत्र पर क्लिक कीजिए –
http://वेद.com/rigveda/10/108/1
सरमा पणि संवाद का पौराणिक सन्दर्भ
इस सूक्त में सरमा और पणियों का संवाद है। पणियों ने इन्द्रदेव की गौए चुराई थी। और बृहस्पति ने देख लिया। अतः बृहस्पति की सूचना पर इन्द्र ने सरमा को दूती बनाकर पणियों के पास भेजा था।
सरमा पणि संवाद का आध्यात्मिक सन्दर्भ
पणियों को असुर भी कहा गया है। वे प्राण-रक्षा में रमे हुए स्वार्थी होते हैं। मानव की इन्द्रियाँ (यानी मानव खुद) भी तो अपनी आत्मा से विमुख हो कर स्वार्थ में रममाण हो जाती हैं, यही गौओं की चोरी है। जब बृहस्पति, जो ज्ञान के अधिष्ठाता है, यह तथ्य समझ लेते हैं; तब सरमा, जिसे देवशुनी भी कहा गया है, वह मनुष्य को देवोन्मुख करने में सहायक होती है।
ज्ञान बांटने से बढ़ता है।
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