१०.०३ व्यायामः सर्वदा पथ्यः। ०९. व्यायाम कितनी देर तक करना चाहिए?
३. व्यायामः सर्वदा पथ्यः।
कक्षा दशमी। शेमुषी।
नवमः श्लोक –
सर्वेष्वृतुष्वहरहः पुम्भिरात्महितैषिभिः।
बलस्यार्थेन कर्तव्यो व्यायामो हन्त्यतोऽन्यथा॥९॥
शब्दार्थ –
- सर्वेषु – सभी
- ऋतुषु – ऋतुओं में
- अहरहः – प्रतिदिनम्। हररोज (अहः च अहः च)
- पुम्भिः – पुरुषैः। पुरुषों के द्वारा (तृतीयाबहुवचनम्)
- आत्महितैषिभिः – जो खुद का भला चाहते हैं उनके द्वारा
- बलस्य – शक्तेः। ताकत के
- अर्धेन – अर्धभागेन। आधे हिस्से से
- कर्तव्यः – करणीयः। किया जाना चाहिए
- व्यायामः – शरीरायासजननं कर्म।
- हन्ति – मारयति। मार देता है। (हानि करता है)
- अतः – इस से
- अन्यथा – इसके अलावा
अन्वय –
आत्महितैषिभिः पुम्भिः सर्वेषु ऋतुषु अहरहः बलस्य अर्धेन व्यायामः कर्तव्यः। अतः अन्यथा हन्ति।
जो लोग खुद का भला चाहते हैं ऐसे पुरुषों ने सभी ऋतु हमें हर दिन अपनी शक्ति के आधी शक्ति से व्यायाम करना चाहिए। इसके अलावा ( यानी ज्यादा व्यायाम किया जाए तो) हानि करता है।
जो लोग हर रोज व्यायाम करते हैं उनके लिए एक चेतावनी यह श्लोक दे रहा है। हम यदि हररोज व्यायाम कर रहे हैं, तो हमे कितनी देर तक व्यायाम करना चाहिए?
प्रस्तुत श्लोक कहता है कि हमें केवल अपनी आधी ताकत समाप्त होने तक ही व्यायाम करना चाहिए।
प्रस्तुत श्लोक कहता है कि हमें केवल अपनी आधी ताकत समाप्त होने तक ही व्यायाम करना चाहिए।
अब फिर से सवाल उठता है कि हमें समझे कैसे कि हमारी आधी ताकत समाप्त हो चुकी है, अब हमें रुकना चाहिए? इसका उत्तर अगला श्लोक देता है। अगले श्लोक के लिए यहाँ क्लिक करें।
भावार्थ –
ये जनाः स्वहितम् इच्छन्ति, तैः जनैः सर्वेषु ऋतुषु अर्थात् आवर्षं प्रतिदिनं व्यायामः करणीयः। परन्तु सः व्यायामः शरीरस्य अर्धेन एव बलेन करणीयः। नो चेत् शरीरस्य हानिः भवति।
परीक्षा की दृष्टि से इस श्लोक पर आधारित प्रश्नोत्तरों का अभ्यास करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
व्याकरणम् –
- सर्वेष्वृतुष्वहरहः – सर्वेषु + ऋतुषु + अहरहः। इति यण् सन्धिः।
- अहरहः – अहः च अहः च।
- पुम्भिरात्महितैषिभिः – पुम्भिः + आत्महितैषिभिः। इति रुत्वसन्धिः।
- पुम्भिः – पुंस् + तृतीयाबहुवचनम्
- बलस्यार्धेन – बलस्य + अर्धेन। इति सवर्णदीर्घसन्धिः।
- कर्तव्यो व्यायामो – कर्तव्यः + व्यायामो। इति उत्वसन्धिः।
- व्यायामो हन्त्यतो – व्यायामः + हन्त्यतो। इति उत्वसन्धिः।
- हन्त्यतो – हन्ति + अतो। इति यण्सन्धिः।
- अतोऽन्यथा
- अतः + अन्यथा। इति उत्वसन्धिः पूर्वरूपसन्धिः च।
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