१०.०३ व्यायामः सर्वदा पथ्यः। ०८. अष्टमः श्लोकः।
३. व्यायामः सर्वदा पथ्यः।
कक्षा दशमी। शेमुषी।
अष्टम श्लोक –
व्यायामो हि सदा पथ्यः बलिनां स्निग्धभोजिनाम्।
स च शीते वसन्ते च तेषां पथ्यतमः स्मृतः॥८॥
शब्दार्थ –
- व्यायामः – परिश्रम, मेहनत
- हि – एक अव्यय पद
- सदा – सर्वदा। सदैव। हमेशा
- पथ्यः – हितकरः। फायदेमंद
- बलिनाम् – बलवान लोगों का ( यहां – बलवान लोगों के लिए)
- स्निग्धभोजिनाम् – स्निग्ध पदार्थ खाने वाले लोगों का (यहां – के लिए)
- सः – वह
- च – और
- शीते – ठंडी में
- वसन्ते – वसंत ऋतु में
- च – और
- तेषाम् – उनका (यहां – उनके लिए)
- पथ्यतमः – सबसे ज्यादा फायदेमंद
- स्मृतः – माना गया है
अन्वय –
स्निग्धभोजिनां बलिनां हि व्यायामः सदा पथ्यः (अस्ति)। शीते च वसन्ते च सः तेषां पथ्यतमः स्मृतः।
जो लोग स्निग्ध पदार्थों का भोजन करते हैं, बलवान होते हैं उनके लिए तो व्यायाम हमेशा फायदेमंद है। ठंडी में और वसंत ऋतु में वह (यानी व्यायाम) उनके लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद माना गया है।
स्निग्धभोजी – यानी स्निग्ध पदार्थों का भोजन करने वाला।
स्निग्धभोजिनः – स्निग्ध भोजन करने वाले। यह बहुवचन है।
स्निग्धभोजीनाम् – स्निग्ध भोजन करने वालों का। यह षष्ठी बहुवचन है।
स्निग्ध पदार्थ यानी घी, मख्खन, तेल, चर्बी (Fat) इत्यादि चिकनाई वाले पदार्थ। इन पदार्थों में सबसे ज्यादा ऊर्जा होती है। और यदि हम ऐसे स्निग्ध पदार्थ खाते हैं तो हमारे शरीर में उस ऊर्जा की खपत होने भी जरूरी है। और उस ऊर्जा की खपत के लिए व्यायाम करना बहुत जरूरी होता है।
स्निग्धभोजिनाम् बलिनाम् – इन दो शब्दों को हम अलग-अलग दृष्टि से देख सकते हैं। यदि हमने स्निग्धभोजिनाम् इस शब्द को बलिनाम् इस शब्द का विशेषण समझा, तो स्निग्धभोजिनाम् बलिनाम् इसका अर्थ हो जाएगा – स्निग्ध भोजन करने वाले बलवान लोग। अब श्लोक के पहले वाक्य का अर्थ होगा – स्निग्ध भोजन करने वाले बलवान लोगों के लिए व्यायाम हमेशा फायदेमंद होता है।
इन्हीं दो शब्दों को यदि अलग-अलग स्वतंत्र पर माना जाए तो स्निग्ध भोजन करने वाले लोग और बलवान लोग ( इन दोनों के लिए) व्यायाम फायदेमंद होता है। ऐसा भी अर्थ हो सकता है।
भावार्थ –
ये बलिनः जनाः स्निग्धं भोजनं कुर्वन्ति, तेषां कृते व्यायामः अत्यन्तं हितकरः भवति। यतः व्यायामेन खादितं भोजनं सम्यक्तया पच्यते। व्यायामः शीतकाले वसन्तकाले च इतोऽपि लाभदायी भवति। अतः प्रतिदिनं व्यायामः करणीयः एव।
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व्याकरणम् –
- व्यायामो हि – व्यायामः + हि। इति उत्वसन्धिः।
- पथ्यो बलिनाम् – पथ्यः + बलिनाम्। इति उत्वसन्धिः।
- बलिनाम्
- बल + इन् – बलिन्। इति इन्-प्रत्ययः।
- बलिन् + आम् – बलिनाम्। इति षष्ठी बहुवचनम्।
- स च – सः च। इति विसर्गलोपसन्धिः।
- स्मृतः – स्मृ + क्त। इति क्तप्रत्ययः।
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