संस्कृत कथा

बुद्धिर्बलवती सदा। हिन्दी अनुवाद। कक्षा १० – CBSE संस्कृत। शेमुषी

बुद्धिर्बलवती सदा।

कक्षा १० – CBSE संस्कृत। शेमुषी

यह पाठ संस्कृत पाठ्यपुस्तक शेमुषी में दशमी कक्षा के लिए निर्धारित किया गया है। हमारा प्रयत्न है कि इस पाठ का पदच्छेद, सन्धि विच्छेद तथा शब्दशः हिन्दी अर्थ के द्वारा संस्कृत छात्रों तथा शिक्षकों की मदद हो सके। 

कक्षा कौमुदी में केवल प्रत्येक वाक्य का केवल अर्थ ही नहीं बताया है, कुछ कुछ जगहों पर व्याख्या के द्वारा पाठ को समझाने का भी प्रयत्न किया गया है। हमे आशा है कि हमारा यह लेख छात्रों तथा शिक्षकों की मदद करेगा।

buddhirbalavari-sada-hindi-translation

अस्ति देउलाख्यो ग्रामः।

अस्ति देउल-आख्यः ग्रामः।

हिन्दी अनुवाद

है देऊल नाम का गांव।

तत्र राजसिंहः नाम राजपुत्रः वसति स्म।

हिन्दी अनुवाद

वहां राजसिंह नाम का राज पुत्र रहता था।

एकदा केनापि आवश्यककार्येण तस्य भार्या बुद्धिमती पुत्रद्वयोपेता पितुर्गृहं प्रति चलिता।

एकदा केन अपि आवश्यक-कार्येण तस्य भार्या बुद्धिमती पुत्रद्वय-उपेता पितुः गृहं प्रति चलिता।

हिन्दी अनुवाद

एक बार किसी आवश्यक कार्य से उसकी पत्नी बुद्धिमती दोनों पुत्रों के साथ पिता के घर की तरफ चल पड़ी। 

व्याख्या – यानी देऊल नाम की नगरी के राजपुत्र राजसिंह की पत्नी किसी कारणवश अपने बेटों के साथ अपने मायके जा रही थी।

मार्गे गहनकानने सा एकं व्याघ्रं ददर्श।

हिन्दी अनुवाद

रास्ते में घने जंगल में उसने एक बाघ को देखा।

सा व्याघ्रम् आगच्छन्तं दृष्ट्वा धार्ष्ट्यात् पुत्रौ चपेटया प्रहृत्य जगाद –

हिन्दी अनुवाद

उसने बाघ को आते हुए देखकर बिना डरे अपने पुत्रों को थप्पड मार कर कहा –

“कथमेकैकशो व्याघ्रभक्षणाय कलहं कुरुथः?

“कथम् एकैकशः व्याघ्र-भक्षणाय कलहं कुरुथः?

हिन्दी अनुवाद

क्यों एक-एक करके बाघ को खाने के लिए झगड़ा कर रहे हो?

अयमेकस्तावद्विभज्य भुज्यताम्।

अयम् एकः तावत् विभज्य भुज्यताम्।

हिन्दी अनुवाद

यह एक ही है तब तक बांट कर खाओ

पश्चाद् अन्यो द्वितीयः कश्चिल्लक्ष्यते।”

पश्चात् अन्यः द्वितीयः कश्चित् लक्ष्यते।”

हिन्दी अनुवाद

बाद में और दूसरा कोई (बाघ) देखा जाएगा।

व्याख्या – यहां बुद्धिमती अपनी बुद्धि का उपयोग करती है। वह बाघ को गलतफहमी कराना चाहती है कि उसके दोनों बेटे बाघ को खाने के लिए झगड़ रहे हैं। और यह औरत अपने बेटों को डांट रही है कि यहां एक ही बाघ है तो उसको आधा आधा करके बांट कर खाओ। हम बाद में किसी और बाघ की तलाशी करेंगे। यानी वह बाघ को ऐसा दिखाना चाहती है कि उसके बच्चे और वह बाघ से बिल्कुल भी नहीं डरते। बल्कि उसके बच्चे तो बाघ को खाने के लिए झगड़ा कर रहे हैं।

इति श्रुत्वा व्याघ्रमारी काचिदियमिति मत्वा व्याघ्रो भयाकुलचित्तो नष्टः।

इति श्रुत्वा व्याघ्रमारी काचित् इयम् इति मत्वा व्याघ्रः भय-आकुलचित्तः नष्टः।

हिन्दी अनुवाद

ऐसा सुनकर व्याघ्रमारी कोई यह है ऐसा मानकर बाघ डर से व्याकुल होकर भाग गया। 

व्याख्या – जैसे ही बाघ ने देखा कि ये बच्चें और औरत मुझसे बिल्कुल भी नहीं डर रहे हैं बल्कि मुझे खाने के लिए आपस में ही झगड़ रहे हैं तो बाघ को लगता है कि यह तो कोई व्याघ्रमारी है। यानी ऐसी औरत जो बाघों को मारती है। और वह बाघ डर कर भाग जाता है।

श्लोक –

निजबुद्ध्या विमुक्ता सा भयाद् व्याघ्रस्य भामिनी।
अन्योऽपि बुद्धिमाँल्लोके मुच्यते महतो भयात्॥

पदच्छेद और शब्दार्थ

  • निजबुद्ध्या – अपनी बुद्धि से
  • विमुक्ता – छूट गई (बच गई)
  • सा – वह
  • भयात् – डर से
  • व्याघ्रस्य – बाघ के
  • भामिनी – युवती, स्त्री, हमेश क्रुद्ध रहनेवाली महिला
  • अन्यः – कोई दूसरा
  • अपि – भी
  • बुद्धिमान् – धीमान्। मतिमान्। बुद्धिमान्, होशियार
  • लोके – संसारे। विश्वे। दुनिया में
  • मुच्यते – मुक्त होता है, बच जाता है
  • महतः – बहुत बड़े
  • भयात् – भय से, डर से


अन्वय –

सा भामिनी निजबुद्ध्या व्याघ्रस्य भयात् विमुक्ता। (एवं हि) लोके अन्यः अपि बुद्धिमान् (मनुष्यः) महतः भयात् मुच्यते।

हिन्दी अनुवाद –

वह स्त्री अपनी बुद्धि से बाघ के डर से बच गई। ऐसे ही दुनिया में (कोई) और भी बुद्धिमान् मनुष्य बड़े डर से बच जाता है।

संस्कृत भावार्थ –

या सा भामिनी बुद्धिमती महिला स्वबुद्धेः उपयोगेन व्याघ्रभयात् स्वस्य तथा स्वपुत्रयोः रक्षणं कृतवती, तथैव कोऽपि बुद्धिमान् मनुष्यः बुद्धिबलेन कस्मात् अपि महासङ्कटात् स्वस्य रक्षणं कर्तुं शक्नोति। तदर्थं केवलं शरीरबलम् एव पर्याप्तं नास्ति। बुद्धिबलम् अपि बहूपयोगि भवति।

 

 

भयाकुलं व्याघ्रं दृष्ट्वा कश्चित् धूर्तः शृगालः हसन्नाह –

भय-आकुलं व्याघ्रं दृष्ट्वा कश्चित् धूर्तः शृगालः हसन् आह –

हिन्दी अनुवाद

डर से परेशान बाघ को देख कर कोई शातिर सियार हसते हुए बोला –

“भवान् कुतः भयात् पलायितः?”

हिन्दी अनुवाद

तुम कहां से डर से भाग रहे हैं?

व्याघ्रः – गच्छ, गच्छ जम्बुक! त्वमपि किञ्चिद् गूढप्रदेशम्।

हिन्दी अनुवाद

बाघ – जा, जा रे सियार। तू भी किसी ख़ुफ़िया जगह पर।

यतो व्याघ्रमारीति या शास्त्रे श्रूयते तयाहं हन्तुमारब्धः

यतः व्याघ्रमारी इति या शास्त्रे श्रूयते तया अहं हन्तुम् आरब्धः

हिन्दी अनुवाद

क्यों कि व्याघ्रमारी इस नाम से जिसका वर्णन शास्त्रों में सुना है उसके द्वारा मैं मारा जा रहा था। 

व्याख्या – शास्त्र का मतलब होता है विज्ञान अथवा विभिन्न बड़े-बड़े ग्रंथों से प्राप्त जानकारी। लेकिन यह हुई इंसानों वाली बात। जब हम किसी बात या फिर किसी जंगली जानवर की बात करते हैं तो उनके लिए शास्त्र सुनी सुनाई बातें ही हो सकती है। तो ऐसे जंगल के शास्त्र में बाघ ने किसी कहानी में व्याघ्रमारी की कहानी सुनी होगी। व्याघ्रमारी एक ऐसी औरत थी जो बाघों को मार सकती थी। अब बाघ को ऐसा लगा कि शायद जिस औरत को मैंने देखा वह औरत ही व्याघ्रमारी है। इसलिए बाघ सियार से कहता है कि – भैया तुम भी जल्दी से किसी जगह पर जाकर छुप जाओ। क्योंकि हमने जिस व्याघ्रमारी के बारे में सुना है उस व्याघ्रमारी ने मुझे मारना शुरू कर दिया था।

परं गृहीतकरजीवितो नष्टः शीघ्रं तदग्रतः।

हिन्दी अनुवाद

लेकिन जान हथेली पर रख कर भाग गया उसके सामने से

शृगालः- व्याघ्र! त्वया महत्कौतुकम् आवेदितं यन्मानुषादपि बिभेषि?

शृगालः- व्याघ्र! त्वया महत् कौतुकम् आवेदितं यत् मानुषात् अपि बिभेषि?

हिन्दी अनुवाद

सियार – भई बाघ। तूने तो बहुत बड़ी मज़े की बात बताई है कि मनुष्य से भी डर रहे हो? 

व्याख्या – सियार को व्याघ्रमारी की सुनी सुनाई कहानी पर भरोसा नहीं होता है। और बाघ के डर को देख कर हंसने लगता है। और उसके डर का मजाक भी बढ़ाता है।

व्याघ्रः- प्रत्यक्षमेव मया सात्मपुत्रावेकैकशो मामत्तुं कलहायमानौ चपेटया प्रहरन्ती दृष्टा।

व्याघ्रः- प्रत्यक्षम् एव मया सा आत्मपुत्रौ एकैकशः माम् अत्तुं कलहायमानौ चपेटया प्रहरन्ती दृष्टा।

हिन्दी अनुवाद

बाघ – अपनी आँखों से मैंने उसे अपने (दो) पुत्रों को, जो एक-एक करके मुझे खाने के लिए झगड़ा कर रहे थे, थपड़ मारते हुए देखा।

जम्बुकः- स्वामिन्! यत्र आस्ते सा धूर्ता तत्र गम्यताम्।

हिन्दी अनुवाद

सियार – मालिक, जहाँ है वह चालाक औरत वहां चलिए।

व्याघ्र! तव पुनः तत्र गतस्य सा सम्मुखमपीक्षते यदि,

व्याघ्र! तव पुनः तत्र गतस्य सा सम्मुखम् अपि ईक्षते यदि,

हिन्दी अनुवाद

भई बाघ, तुम्हारे वहां जाने पर वह सामने भी देखती है अगर

तर्हि त्वया अहं हन्तव्यः इति।

हिन्दी अनुवाद

तो तुम्हारे द्वारा मैं मारनेयोग्य हूँ।
सियार बाघ के साथ वहां खुद जाना चाहता है। क्यों किसी और को पता था कि वह जरूर कोई चालाक औरत होंगी जिसने बाघ को उल्लू बनाया है। सियार दावा से कहता है कि अगर तुम वहां फिर से जाओगे तो वह तुम्हारे सामने भी खड़ी नहीं रहेंगी ( यानी वह औरत भाग जाएंगी।)

व्याघ्रः – शृगाल! यदि त्वं मां मुक्त्वा यासि तदा वेलाप्यवेला स्यात्।

हिन्दी अनुवाद

बाघ – रे सियार, अगर तू मुझे छोडकर जाता है तब तो वेलाप्यवेला (गड़बड़) होगी। 

व्याख्या – लेकिन बाघ को सियार पर भरोसा नहीं होता है। वह तो व्याघ्रमारी से डरा हुआ है। उसके सामने फिर से नहीं जाना चाहता है। उसके मन में शंका होती है कि शायद यह सियार मुझे किसी तरह से वहां लेकर जाना चाहता है। और अगर यह सियार वहां जाने के बाद भाग गया तो क्या होगा? इसीलिए वह कहता है कि अगर वहां जाने के बाद तुम मुझे छोड़ कर जाओगे तो वेलाप्यवेला ( गड़बड़) होगी 

वेलाप्यवेला का अर्थ
सबसे पहले इसका हमें संधि विच्छेद करना है – वेला + अपि + अवेला
यहां वेला इस शब्द का अर्थ होता है – अनुकूल समय, अच्छा समय अथवा सही समय।
और अवेला यह शब्द उसका ठीक विरुद्धार्थी शब्द है, यानी बुरा समय।
कुल मिलाकर वेलाप्यवेला का अर्थ होता है अनुकूल समय का बुरा समय हो जाना। यानी गड़बड़ हो जाना।

जम्बुकः- यदि एवं तर्हि मां निजगले बद्ध्वा चल सत्वरम्।

हिन्दी अनुवाद

सियार – अगर ऐसा है तो मुझे अपने गले में बांध कर चलो जल्दी से। 

व्याख्या – लेकिन यार किसी भी तरह से बाघ को वहां वापस लेकर जाना चाहता था। और साबित करना चाहता था कि सच में उस औरत ने भाग को किस तरह से उल्लू बनाया है। इसीलिए जब बाघ ने शंका की कि सियार वहां जाने के बाद बाघ को अकेला छोड़ कर भाग जाएगा, तो सियार कहता है कि एक रस्सी से मुझे अपने गले में बांध लो।


स व्याघ्रः तथा कृत्वा काननं ययौ।

सः व्याघ्रः तथा कृत्वा काननं ययौ।

हिन्दी अनुवाद

वह बाघ वैसा कर के जंगल गया। 

व्याख्या – यानी अब बाघ ने उससे यार को अपने गले से बांध लिया और वे दोनों वापस उस जगह पर चले गए जहां पर बुद्धिमती और उसके दोनों पुत्र थे।

शृगालेन सहितं पुनरायान्तं व्याघ्रं दूरात् दृष्ट्वा बुद्धिमती चिन्तितवती –

हिन्दी अनुवाद

सियार के साथ पुनः आते हुए बाघ को दूर से देख कर बुद्धिमती ने सोचा –

जम्बुककृतोत्साहाद् व्याघ्रात् कथं मुच्यताम्?

जम्बुक-कृत-उत्साहात् व्याघ्रात् कथं मुच्यताम्?

हिन्दी अनुवाद

सियार के द्वारा प्रेरित बाघ से कैसे बचा जाए? 

व्याख्या – बुद्धिमती ने दूर से ही देखकर पहचान लिया कि उस सियार ने जरूर उस भाग को वापस आने पर मजबूर किया होगा। और बुद्धिमती अपनी और अपने पुत्रों की जान बचाने के लिए उपाय सोचने लगी। और उसने एक उपाय सोच लिया।

परं प्रत्युत्पन्नमतिः सा जम्बुकमाक्षिपन्त्यङ्गल्या तर्जयन्त्युवाच –

परं प्रति-उत्पन्न-मतिः सा जम्बुकम् आक्षिपन्ती अङ्गुल्या तर्जयन्ती उवाच –

हिन्दी अनुवाद

लेकिन तेज़ दिमाग वाली वह (बुद्धिमती) सियार पर आरोप लगाते हुए उंगली से डांटते हुए बोली

व्याख्या – बुद्धिमती का दिमाग बहुत तेजी से काम करता था। बुद्धिमती सियार की तरफ उंगली करके सियार को ही धमकाने लगी –

श्लोक –

रे रे धूर्त त्वया दत्तं मह्यं व्याघ्रत्रयं पुरा।
विश्वास्याद्यैकमानीय कथं यासि वदाधुना॥

पदच्छेद और शब्दार्थ

  • रे रे धूर्त – अरे बदमाश
  • त्वया – तूने
  • दत्तम् – दिए थे
  • मह्यम् – मुझे
  • व्याघ्रत्रयम् – तीन बाघ
  • पुरा – पहले, पिछली बार
  • विश्वास्य – भरोसा दिला कर
  • अद्य – आज
  • एकम् – एक ही (बाघ को)
  • आनीय – ला कर
  • कथम् – कैसे
  • यासि – जाएगा
  • वद – बोल
  • अधुना – इदानीम्। अब


अन्वय

रे रे धूर्त। पुरा त्वया मह्यं व्याघ्रत्रयं दत्तम्। विश्वास्य (अपि) अद्य एकम् (एव व्याघ्रम्) आनीय कथं यासि इति अधुना वद।

हिन्दी अनुवाद

अरे बदमाश। पिछली बार तो तूने मुझे तीन बाघ (ला कर) दिए थे। भरोसा दिला कर आज (सिर्फ) एक ही बाघ ला कर कैसे जाएगा। बोल अब।

संस्कृत भावार्थ

व्याघ्रशृगालौ आगच्छन्तौ दृष्ट्वा बुद्धिमती शृगालं वदति – रे धूर्त शृगाल। पूर्वं तु त्वया मह्यं व्याघ्रत्रयं दत्तम्। अहं पुनः त्रीन् व्याघ्रान् आनीय दास्यामि इति मां विश्वास्य अद्य त्वं केवलं एकम् एव व्याघ्रम् आनीतवान्। अधुना त्वं कुत्र गच्छसि? अहं त्वां मारयिष्यामि इति। एवम् उक्त्वा बुद्धिमती व्याघ्रस्य मनसि शृगालस्य विषये सन्देहं जनयति।

श्लोक

इत्युक्त्वा धाविता तूर्णं व्याघ्रमारी भयङ्करा।
व्याघ्रोऽपि सहसा नष्टः गलबद्धशृगालकः॥

पदच्छेद और शब्दार्थ

  • इति – ऐसा
  • उक्त्वा – कह कर
  • धाविता – दौड़ पड़ी
  • तूर्णम् – शीघ्रम्। क्षिप्रम्। सत्वरम्। जल्दी से
  • व्याघ्रमारी – बाघ को मारने वाली
  • भयङ्करा – डरावनी
  • व्याघ्रः – बाघ
  • अपि – भी
  • सहसा – अचानक
  • नष्टः – पालयितः। भाग गया
  • गलबद्धशृगालकः – जिसके गले में सियार बंधा हुआ था वह


अन्वय

इति उक्त्वा भयङ्करा व्याघ्रमारी तूर्णं धाविता। (तत् दृष्ट्वा) गलबद्धशृगालकः व्याघ्रः अपि सहसा नष्टः।

हिन्दी अनुवाद

ऐसा कह कर वह भयंकर व्याघ्रमारी (बुद्धिमती) जल्दी से दौड़ पड़ी। उसे देख कर जिसके गले में सियार बंधा हुआ था वह बाघ भी अचानक से भाग गया।

एवं प्रकारेण बुद्धिमती व्याघ्रजाद् भयात् पुनरपि मुक्ताऽभवत्।

एवं प्रकारेण बुद्धिमती व्याघ्रजात् भयात् पुनः अपि मुक्ता अभवत्।

हिन्दी अनुवाद

एस तरह से बुद्धिमती बाघ के भय से फिर से भी मुक्त हो गई। 

व्याख्या – बुद्धिमती बहुत चतुर थी। उसने ऐसा नाटक किया कि बाघ को ऐसा लगे कि यह सियार बुद्धिमती के साथ मिला हुआ है। और इस सियार ने मुझे फंसा कर यहां लाया है। और इस सियार ने मुझे इस व्याघ्रमारी के हवाले कर दिया है।

बुद्धिमती सियार को डांटते हुए कहती है – अरे बदमाश सियार। पिछली बार तो तूने मुझे तीन बाघ ला कर दिए थे। ( क्योंकि वे तीन लोग थे। एक स्वयं बुद्धिमती और उसके दो पुत्र) और इसके बाद भी मैं फिर से तीन बाघ लाकर दूंगा ऐसा वादा तूने मुझसे किया था। लेकिन वादे के मुताबिक तुमने काम नहीं किया। और सिर्फ एक ही बात को लेकर आए।

बुद्धिमती की ऐसी बात सुनकर उस डरपोक बाघ को सच में यकीन हो गया कि इस सियार ने सचमुच में मुझे फंसा कर यहां लाया है और अब यह व्याघ्रमारी जरूर मुझे खा जाएगी। 

और डर के मारे वह बाघ गले में बंधे हुए सियार के साथ (सियार को घसीटते हुए) भाग गया। और इस प्रकार बुद्धिमती बाघ के वैसे फिर से एक बार बच गई।

अत एव उच्यते

हिन्दी अनुवाद

इसी लिए कहते हैं 

श्लोक –

बुद्धिर्बलवती तन्वि सर्वकार्येषु सर्वदा॥

पदच्छेद और शब्दार्थ

  • बुद्धिः – धीः। मतिः। बुद्धिः। दिमाग़
  • बलवती – शक्तिमती। शक्तिशाली। बलवान
  • तन्वि – हे तन्वी, कोमल अंगो वाली (यह विशेषण प्रभावती के लिए है)
  • सर्वकार्येषु – सभी कामों में
  • सर्वदा – हमेशा


अन्वय

(हे) तन्वि, सर्वदा सर्वकार्येषु बुद्धिः (एव) बलवती (भवति)।

हिन्दी अनुवाद

हे तन्वी, हमेशा सभी कामों में बुद्धि ही बलवती होती है।

व्याख्या –  

यहां तन्वी इस शब्द का क्या अर्थ है? 

यह पाठ एक कहानी है जिसे एक तोता प्रभवती नाम की स्त्री को सुना रहा है। इस प्रभावती के पति, जिनका नाम मदनविनोद था, वे अपने कारोबार के लिए देशान्तर चला गया था। तो प्रभावती घर में अकेली थी। उस अकेली प्रभावती का मन बहलाने के लिए यह तोता प्रतिदिन एक कहानी प्रभावती को सुनाता है। यह पाठ भी उन कहानीयों में से एक है। 

कहानी पूरी होने के बाद तोता कहता है – हे तन्वी, हमेशा सभी कामों में बुद्धि ही बलवती होती है। यहाँ वह तोता प्रभावती को तन्वी कहता है। तन्वी इस शब्द का अर्थ होता है – कोमल अंगो वाली स्त्री। यह शब्द वह प्रभावती के लिए कहता है।

उपसंहार

 इस प्रकार से हमने देखा की किस प्रकार से बुद्धिमती नाम की सामान्य स्त्री केवल अपनी बुद्धि के प्रयोग से अपनी और अपने दोनों पुत्रों की जान बचाती है। और वह भी केवल एकबार नहीं, अपितु दो बार। इसीलिए इस पाठ से यही सीख मिलती है कि हमेशा अपनी बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए। यदि हम अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हैं, तो हम हर संकट से बच सकते हैं। इति लेखनसीमा॥

धन्यवाद

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