• अन्य

    संयुक्त वर्ग

    संयुक्त वर्ग में कक्षा दशमी के सारे छात्र समाहित हैं। किसी खास समय पर ही संयुक्त कक्षा का आयोजन किया जाएगा। 

  • अन्य

    व्यासवर्गः

    व्यासवर्ग का कक्षासमय – गुरुवार शुक्रवार शनिवार रात्रौ ८.३० पाठ की सामग्री –  28.11.2019 तृतीया तत्पुरुष समास गृहकार्यम् 30.11.2019 क्तप्रत्यय-अपवादः द्वितीया तत्पुरुषः समासः श्रित 5.12.2019 द्वितीया तत्पुरुषः समासः 6.12.2019 चतुर्थीतत्पुरुषः १. तदर्थ। अर्थ। 7.12.2019 चतुर्थीतत्पुरुषः २. बलि। हित। सुख। रक्षित।…

  • अन्य

    वाल्मीकिवर्गः

    वाल्मीकिवर्ग का कक्षासमय – रविवार सोमवार मंगलवार रात्रौ ८.३०  पाठ की सामग्री – 25.11.2019 जश्त्व – वर्गीयप्रथमाक्षराणां तृतीयवर्णे परिवर्तनम्। अनुनासिकत्व – वर्गीयप्रथमाक्षराणां पञ्चमवर्णे परिवर्तनम्। गृहकार्यम् 26.11.2019 मोऽनुस्वारः तुगागमः गृहकार्यम् 2.12.2019 उत्वम् 8.12.19 रुत्वम्। सत्वम्। लोपः। कक्षा दशमी के सारे सन्धि…

  • सुभाषित

    निमित्तम् उद्दिष्य हि यः प्रकुप्यति – संस्कृत सुभाषित श्लोक – अनुवाद अन्वय पदच्छेद

    संस्कृत सुभाषित श्लोक निमित्तमुद्दिश्य हि यः प्रकुप्यति, ध्रुवं स तस्यापगमे प्रसीदति । अकारणद्वेषि मनस्तु यस्य वै, कथं जनस्तं परितोषयिष्यति ॥ श्लोक को वीडिओ से समझें शब्दार्थ निमित्तम् – कारणम्।  उद्दिष्य – दृष्ट्वा। देखकर, मानकर हि – अव्ययपदम् यः – जो…

  • श्लोक

    गुणी गुणं वेत्ति न वेत्ति निर्गुणः

    गुणी गुणं वेत्ति न वेत्ति निर्गुणो,बली बलं वेत्ति न वेत्ति निर्बलः ।पिको वसन्तस्य गुणं न वायसः,करी च सिंहस्य बलं न मूषकः ॥ वीडिओ से श्लोक को समझिए – अन्वय  गुणी गुणं वेत्ति, निर्गुणः (गुणं) न वेत्ति। बली बलं वेत्ति निर्बलः…

  • सुभाषित

    आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः। सुभाषित का हिन्दी अनुवाद, शब्दार्थ, भावार्थ और व्याकरण

    आलस ही मनुष्य का शत्रु है। हालांकि लोग दूसरों को शत्रु मानते हैं। परन्तु यह एक आलसरूपी शत्रु तो अपने अंदर ही है। सबसे पहले इस पर विजय आवश्यक है। देखते हैं संस्कृत सुभाषितकार आलस के बारे में क्या कहते…

  • श्लोक

    १०.०६ सुभाषितानि। पाठ की प्रस्तावना

    ६. सुभाषितानि। कक्षा दशमी। शेमुषी।     पाठ की प्रस्तावना प्रस्तुतोऽयं पाठः विविधग्रन्थात् सङ्कलितानां दशसुभाषितानां सङ्ग्रहो वर्तते। संस्कृतसाहित्ये सार्वभौमिकं सत्यं प्रकाशयितुम् अर्थगाम्भीर्ययुता पद्यमयी प्रेरणात्मिका रचना सुभाषितमिति कथ्यते। अयं पाठांशः परिश्रमस्य महत्त्वम्, क्रोधस्य दुष्प्रभावः, सामाजिकमहत्त्वम्, सर्वेषां वस्तूनाम् उपादेयता, बुद्धेः वैशिष्टयम् इत्यादीन्…

  • श्लोक

    जननी तुल्यवत्सला। ०१ प्रथमः श्लोकः। विनिपातो न वः कश्चिद्

    विनिपातो न वः कश्चिद् दृश्यते त्रिदशाधिप!।अहं तु पुत्रं शोचामि, तेन रोदिमि कौशिक!॥  प्रस्तुत श्लोक  ११. जननी तुल्यवत्सला (कक्षा दशमी। शेमुषी)  से है। और इस पाठ का हिन्दी अनुवाद कक्षा कौमुदी पर मौजूद है। परन्तु वहाँ इस श्लोक का केवल संक्षेप…