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संस्कृत कक्षा में शीतल चन्द्रप्रकाश

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  • सुभाषित

    आरम्भगुर्वी क्षयिणी क्रमेण। हिन्दी अनुवाद। शब्दार्थ। अन्वय

    6 टिप्पणियाँ

    (खलस्य मैत्री) आरम्भ-गुर्वी क्रमेण च क्षयिणी (भवति।) (सज्जनस्य मैत्री)पुरा लघ्वी पश्चात् च वृद्धिमती (भवति।) (एवं) दिनस्य पूर्वार्द्ध-परार्द्ध-भिन्ना छाया इव खल-सज्जनानाम् मैत्री (भवति)।

    11/12/2020
  • सुभाषित

    पिबन्ति नद्यः स्वयमेव नाम्भः। हिन्दी अनुवाद। शब्दार्थ। भावार्थ। अन्वय॥

    1 टिप्पणी

    जैसे नदियां पानी खुद नहीं पीती है। पेड़ फल खुद नहीं खाते हैं। बादल भी फसल नहीं खाते हैं। उसी प्रकार सज्जनों की संपत्ति परोपकार के लिए होती है।

    09/12/2020
  • सुभाषित

    प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः। हिन्दी अनुवाद। शब्दार्थ। अन्वय॥

    3 टिप्पणियाँ

    सभी प्राणी प्रिय वाक्य बोलने से सन्तुष्ट हो जाते हैं। इसीलिए वही बोलना चाहिए। क्योंकि बोलने में कौनसी गरीबी होती है?

    08/12/2020
  • अन्य
    0 टिप्पणी

    भवति भवतः भवन्ति भवसि भवथः भवथ भवामि भवावः भवामः बभूव बभूवतुः बभूवुः बभूविथ बभूवथुः बभूव बभूव बभूविव बभूविम

    06/12/2020

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