श्लोक,  सुभाषित

दाम्पत्यम् अनुकूलं चेत् किं स्वर्गस्य प्रयोजनम् – संस्कृत श्लोक, अन्वय, अनुवाद

संस्कृत श्लोक

दाम्पत्यमनुकूलं चेत्किं स्वर्गस्य प्रयोजनम्।
दाम्पत्यं प्रतिकूलं चेन्नरकं किं गृहमेव तत्॥

पदच्छेद

दाम्पत्यम् अनुकूलं चेत् किं स्वर्गस्य प्रयोजनम्।
दाम्पत्यं प्रतिकूलं चेत् नरकं किं गृहम् एव तत्॥

शब्दार्थ

संस्कृतमराठीहिन्दीEnglish
दाम्पत्यम्पतिपत्नी मधील संबंधपति और पत्नी के बीच का रिश्ताRelation between husband and wife
अनुकूलम्अनुकूलअनुकूलSuitable, favorable
चेत्जर…तर…अगर…तो…If…then…
किम्कायक्याWhat
स्वर्गस्यस्वर्गाचेस्वर्ग का, जन्नत काHeaven’s
प्रयोजनम्प्रयोजन, उपयोग, हेतू, कारणप्रयोजन, उपयोग, हेतू, कारणPurpose, reason, use
दाम्पत्यम्पतिपत्नी मधील संबंधपति और पत्नी के बीच का रिश्ताRelation between husband and wife
प्रतिकूलम्प्रतिकूल, विरुद्ध, विपरीतप्रतिकूल, विरुद्ध, विपरीतNot suitable, adverse
चेत्जर…तर…अगर…तो…If…then…
नरकम्नरकनरग, दोजख़, जहन्नुमHell
किम्कायक्याWhat
गृहम्घरघर, आशियाना, दौलतखाना (दूसरों का घर), गरीबखाना (खुद का घर)House, home
एवहीIndeed
तत्तेवहIt, that

 

अन्वय

(मनुष्यस्य) दाम्पत्यं अनुकूलम् (स्यात्) चेत् स्वर्गस्य किं प्रयोजनम्? (अपि च मनुष्यस्य) दाम्पत्यं प्रतिकूलं चेत् नरकं किम्? तत् गृहम् एव (नरकं भवति)।

मराठी अनुवाद

मनुष्याचे दाम्पत्य (जीवन) अनुकूल असेल तर स्वर्गाचे काय प्रयोजन? आणि तसेच जर मनुष्याचे दाम्पत्यजीवन प्रतिकूल असेल तर नरक कोणता आहे? ते घरच नरक होऊन जाते।

हिन्दी अनुवाद

मनुष्य का दांपत्यजीवन यदि अनुकूल हो तो स्वर्ग का क्या प्रयोजन है? और साथ ही यदि मनुष्य का दाम्पत्यजीवन प्रतिकूल हो जाए तो नरक क्या है? वह घर ही नरक बन जाता है।

English translation

If the marriage life of a man is friendly, then what is the purpose of heaven? And also if the marriage life of a man is adverse, then what is the hell? Indeed! the home itself becomes hell.

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