गच्छन् पिपीलिको याति
संस्कृत श्लोक
गच्छन् पिपीलिको याति योजनानां शतान्यपि।
अगच्छन् वैनतेयोऽपि पदमेकं न गच्छति॥
श्लोक का रोमन लिप्यन्तरण
Roman transcription of the Shloka
gacchan pipīliko yāti yojanānāṃ śatānyapi।
agacchan vainateyo'pi padamekaṃ na gacchati॥
श्लोक का पदच्छेद
गच्छन् पिपीलिकः याति योजनानां शतानि अपि। अगच्छन् वैनतेयः अपि पदम् एकं न गच्छति॥
श्लोक का वीडिओ
श्लोक का शब्दार्थ
- गच्छन् – जो जा रहा है वह, जाता हुआ, चलता हुआ (जो रुका नहीं है)
- पिपीलिकः – चीटा
- याति – गच्छति। जाता है।
- योजनानाम् – योजनों के
- शतानि – सौ
- अपि – भी
- योजनानाम् शतानि अपि – सैंकडों योजन भी
- अगच्छन् – जो नहीं चल रहा है (जौ रुका हुआ है)
- वैनतेयः – गरुड़
- अपि – भी
- पदम् – पैर
- एकम् – एक
- न – नहीं
- गच्छति – जाता है।
श्लोक का अन्वय
गच्छन् पिपीलिकः अपि योजनानां शतानि अपि याति। (परन्तु) अगच्छन् वैनतेयः अपि एकं पदं न गच्छति।
हिन्दी अनुवाद
जानेवाला चीटा भी सैंकडों योजनों तक भी जाता है। परन्तु ना जानेवाला गरुड़ भी एक पैर तक नहीं जाता।
2 टिप्पणियाँ
हरि राम
Sanskrit में श्लोक का भावार्थ आरबीएसई 10क्लास के लिए मुख्य श्लोक का कैसे करें
मधुकर
कृपया इस विषय में हम से अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें।
https://kakshakaumudi.com/हमसे-संपर्क-करें।/