प्रहेलिका – वृक्षाग्रवासी न च पक्षिराजः त्रिनेत्रधारी न च शूलपाणिः
संस्कृत प्रहेलिका वृक्षाग्रवासी न च पक्षिराजःत्रिनेत्रधारी न च शूलपाणिः।त्वग्वस्त्रधारी न च सिद्धयोगीजलं च बिभ्रन्न घटो न मेघः॥ पदच्छेद वृक्ष-अग्रवासी न च पक्षिराजःत्रिनेत्रधारी न च शूलपाणिः।त्वक्-वस्त्रधारी न च सिद्धयोगीजलं च बिभ्रन् न घटः न मेघः॥ शब्दार्थ संस्कृतम् मराठी हिन्दी English वृक्षाग्रवासी…
दाम्पत्यम् अनुकूलं चेत् किं स्वर्गस्य प्रयोजनम् – संस्कृत श्लोक, अन्वय, अनुवाद
संस्कृत श्लोक दाम्पत्यमनुकूलं चेत्किं स्वर्गस्य प्रयोजनम्।दाम्पत्यं प्रतिकूलं चेन्नरकं किं गृहमेव तत्॥ पदच्छेद दाम्पत्यम् अनुकूलं चेत् किं स्वर्गस्य प्रयोजनम्।दाम्पत्यं प्रतिकूलं चेत् नरकं किं गृहम् एव तत्॥ शब्दार्थ संस्कृत मराठी हिन्दी English दाम्पत्यम् पतिपत्नी मधील संबंध पति और पत्नी के बीच का…
पुस्तके पठितः पाठः जीवने नैव साधितः
संस्कृत श्लोक पुस्तके पठितः पाठो जीवने नैव साधितः।किं भवेत्तेन पाठेन जीवने यो न सार्थकः॥ पदच्छेद पुस्तके पठितः पाठः जीवने न एव साधितः।किं भवेत् तेन पाठेन जीवने यः न सार्थकः॥ शब्दार्थ संस्कृत मराठी हिन्दी English पुस्तके पुस्तकात पुस्तक में In the…
अलक्ष्मीराविशत्येनं शयानमलसं नरम्। अनुवाद, शब्दार्थ , अन्वय
संस्कृत श्लोक अलक्ष्मीराविशत्येनं शयानमलसं नरम्।निःसंशयं फलं लब्ध्वा दक्षो भूतिमुपाश्नुते॥ English Transliteration (IAST) of the Shloka alakṣmīrāviśatyenaṃ śayānamalasaṃ naram|niḥsaṃśayaṃ phalaṃ labdhvā dakṣo bhūtimupāśnute|| श्लोक का पदच्छेद अलक्ष्मीः आविशति एनं शयानम् अलसं नरम्। निःसंशयं फलं लब्ध्वा दक्षः भूतिम् उपाश्नुते॥ श्लोक का शब्दार्थ…
सूक्तयः कक्षा 10 प्रश्नोत्तर। Suktayah Class 10 Solutions
इस लेख में सूक्तयः इस पाठ के सभी प्रश्नों के उत्तर हैं। यदि आप सर्वप्रथम सूक्तयः इस पाठ में से सभी सूक्तियों का अध्ययन करना चाहते हैं तो इस सूत्र पर क्लिक करें – अभ्यासः 1. एकपदेन उत्तरं लिखत (क)…
सूक्तयः – कक्षा 10 अनुवाद। Suktayah – Class 10 Translation
सूक्तयः (Suktayah) यह संस्कृत पाठ CBSE बोर्ड में निर्धारित पाठ्यपुस्तक शेमुषी (NCERT) में है। इस लेख में सूक्तय इस पाठ से सभी सूक्तियों का सरल भाषा में अनुवाद और स्पष्टीकरण है। आप को जिस सूक्ति का अर्थ जानना है, उस…
शिवमहिम्नः स्तोत्रम् ShivamahimanaH Stotram
शुद्ध संस्कृत में पाठ के लिए शिवमहिम्न स्तोत्र
यत्कर्म कुर्वतोऽस्य स्यात्परितोषोऽन्तरात्मनः। श्लोक का अर्थ, अनुवाद और स्पष्टीकरण॥
क्या आप किंकर्तव्यमूढ हो गए हैं? यानी आप को समझ नहीं आ रहा है कि क्या करे और क्या नहीं करें? मनुष्य को कौन सा काम जरूर करना ही चाहिए? और कौन सा काम वर्जित (टालना, avoid) चाहिए? इन प्रश्नों…
यं मातापितरौ क्लेशं सहेते सम्भवे नृणाम् – अर्थ और अनुवाद
यं मातापितरौ कष्टं सहेते सम्भवे नृणाम्। यह श्लोक मनुस्मृति का है। इस श्लोक के माध्यम से मनु मातापिता के महत्त्व को दिखाते हैं। यदि कोई पुत्र सौ साल तक भी अपने मातापिता की सेवा करता रहे, लेकिन जो तकलीफ उन्होंने…
सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्
संस्कृत श्लोक सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्।एतद्विद्यात्समासेन लक्षणं सुखदुःखयोः।। Roman (English) transliteration sarvaṃ paravaśaṃ duḥkhaṃ sarvamātmavaśaṃ sukham|etadvidyātsamāsena lakṣaṇaṃ sukhaduḥkhayoḥ|| पदच्छेद सर्वं परवशं दुःखं सर्वम् आत्मवशं सुखम्।एतत् विद्यात् समासेन लक्षणं सुख-दुःखयोः।। शब्दार्श सर्वम् – सर्व, all परवशम् – पराए के नियन्त्रण…