पुस्तके पठितः पाठः
संस्कृत श्लोक
पुस्तके पठितः पाठः जीवने नैव साधितः।
किं भवेत् तेन पाठेन जीवने यो न सार्थकः॥
श्लोक का रोमन लिप्यन्तरण
Roman transliteration of the Shloka
pustake paṭhitaḥ pāṭhaḥ jīvane naiva sādhitaḥ।
kiṃ bhavet tena pāṭhena jīvane yo na sārthakaḥ॥
श्लोक का शब्दार्थ
- पुस्तके – पुस्तक में
- पठितः – पढ़ा हुआ
- पाठः – पाठ, सबक
- जीवने – जीवन में
- नैव – (न + एव)
- न – नहीं
- एव – बिल्कुल
- साधितः – उपयोग किया, इस्तेमाल में लाया
- किम् – क्या
- भवेत् – होगा
- तेन पाठेन – उस पाठ से
- जीवने – जीवन में
- यः – जो
- न – नहीं
- सार्थक – अर्थपूर्ण, उपयोगी
श्लोक का अन्वय
(यदि) पुस्तके पठितः पाठः जीवने नैव साधितः। (तर्हि) यः जीवने सार्थकः न (अस्ति), तेन पाठेन किं भवेत्।
श्लोक का हिन्दी अनुवाद
अगर पुस्तक में पढ़ा हुआ पाठ जीवन में इस्तेमाल नहीं किया। तो जो जीवन में सार्थक (उपयोगी) नहीं है, उस पाठ से क्या (लाभ) होगा?
श्लोक में प्रयुक्त व्याकरण
सन्धि
नैव – न + एव। (वद्धि सन्धि)
यो न – यः + न। (उत्व सन्धि)
सार्थकः – स + अर्थकः। (दीर्घ सन्धि)
प्रत्यय
पठितः – पठ् + क्त
साधित – सिध् + णिच् + क्त
ज्ञान बांटने से बढ़ता है।
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