सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता
संस्कृत श्लोक
सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्॥
श्लोक का शब्दार्थ
- सर्वतीर्थमयी – सब तीर्थ जिसमें समाएं हैं वह
- माता – माँ
- सर्वदेवमयः – सब देव जिन में समाएं हैं वे
- पिता – जनकः। पिता,
- मातरम् – माँ को
- पितरम् – पिता को
- तस्मात् – इसीलिए
- सर्वयत्नेन – हर तरह से
- पूजयेत् – पूजा करनी चाहिए, पूजना चाहिए, पूजन करना चाहिए
श्लोक का अन्वय
माता सर्वतीर्थमयी (भवति)। पिता (च) सर्वदेवमयः (भवति)। तस्मात् (मनुष्यः) मातरं पितरं (च) सर्वयत्नेन पूजयेत्।
हिन्दी अनुवाद
माँ सर्व तीर्थमयी होती है। और पिता सर्वदेवमय होते हैं। इसीलिए मनुष्य को माँ और पिता का हर तरह से पूजन करना चाहिए।
ज्ञान बांटने से बढ़ता है।
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