सौहार्दं प्रकृतेः शोभा – प्रश्नोत्तर। NCERT Solutions Class 10 – Sauhardam PrakruteH Shobha
इस लेख में सौहार्दं प्रकृतेः शोभा (Sauhardam PrakruteH Shobha) इस पाठ के सभी प्रश्नों के उत्तर हैं। और साथ में प्रश्नों के उत्तरों को वीडिओ के माध्यम से भी समझाने का प्रयत्न किया है। Solution of question 1. एकपदेन उत्तरं…
शुचिपर्यावरणम् – प्रश्नोत्तर। NCERT Solutions Class 10 Shuchiparyavaranam
यदि आप शुचिपर्यावरणम् इस पाठ के सभी प्रश्नोत्तरों को पढ़ना चाहते हैं तो यह लेख आप के लिए है। इस लेख में NCERT द्वारा प्रकाशित शेमुषी इस पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित पाठ – शुचिपर्यावरणम् इस पाठ के सभी प्रश्न और उत्तर…
सूक्तयः – कक्षा 10 अनुवाद। Suktayah – Class 10 Translation
सूक्तयः (Suktayah) यह संस्कृत पाठ CBSE बोर्ड में निर्धारित पाठ्यपुस्तक शेमुषी (NCERT) में है। इस लेख में सूक्तय इस पाठ से सभी सूक्तियों का सरल भाषा में अनुवाद और स्पष्टीकरण है। आप को जिस सूक्ति का अर्थ जानना है, उस…
भवति शिशुजनो वयोऽनुरोधाद्
कोई बालक अपनी उम्र की वजह से बड़े गुणी लोगों के लिए भी लाड़-प्यार के योग्य होता है। जैसे चन्द्रमा भी भगवान् शंकर के मस्तक पर केतकी के फूल के समान अपने बालस्वभाव की वजह से प्राप्त होता है।
विचित्रः साक्षी
पाठ का पदच्छेद तथा हिन्दी अनुवाद कश्चन निर्धनो जनः भूरि परिश्रम्य किञ्चिद् वित्तमुपार्जितवान्। कश्चन निर्धनः जनः भूरि परिश्रम्य किञ्चित् वित्तम् उपार्जितवान्। किसी गरीब मनुष्य ने बहुत ज्यादा परिश्रम कर के थोड़ा सा पैसा कमाया। तेन वित्तेन स्वपुत्रम् एकस्मिन् महाविद्यालये प्रवेशं…
सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता। अर्थ, अन्वय, हिन्दी अनुवाद
क्या आप महान् बनना चाहते हैं? संस्कृत सुभाषितकारों ने महान लोगों का लक्षण इस श्लोक में लिख दिया है। यदि हमने महान लोगों के इस लक्षण को समझ लिया, तो हम भी महान बन सकते हैं। श्लोक सम्पत्तौ च विपत्तौ…
क्रोधो हि शत्रुः प्रथमं नराणाम्। श्लोक का शब्दार्थ अन्वय हिन्दी अनुवाद
मनुष्यों के शरीर का विनाश करने के लिए पहला दुश्मन तो (खुद के ही) शरीर में रहने वाला गुस्सा ही होता है। जैसे कि लकड़ी में ही रहने वाली आग लकड़ी को ही जलाती है, वैसे ही शरीर में रहने…
उदीरितोऽर्थः पशुनापि गृह्यते। अनुवाद। अन्वय। पदच्छेद
उदीरितोऽर्थः पशुनापि गृह्यते हयाश्च नागाश्च वहन्ति बोधिताः। अनुक्तमप्यूहति पण्डितो जनः परेङ्गितज्ञानफला हि बुद्धयः॥
पिबन्ति नद्यः स्वयमेव नाम्भः। हिन्दी अनुवाद। शब्दार्थ। भावार्थ। अन्वय॥
जैसे नदियां पानी खुद नहीं पीती है। पेड़ फल खुद नहीं खाते हैं। बादल भी फसल नहीं खाते हैं। उसी प्रकार सज्जनों की संपत्ति परोपकार के लिए होती है।
प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः। हिन्दी अनुवाद। शब्दार्थ। अन्वय॥
सभी प्राणी प्रिय वाक्य बोलने से सन्तुष्ट हो जाते हैं। इसीलिए वही बोलना चाहिए। क्योंकि बोलने में कौनसी गरीबी होती है?