यत्कर्म कुर्वतोऽस्य स्यात्परितोषोऽन्तरात्मनः। श्लोक का अर्थ, अनुवाद और स्पष्टीकरण॥
क्या आप किंकर्तव्यमूढ हो गए हैं? यानी आप को समझ नहीं आ रहा है कि क्या करे और क्या नहीं करें? मनुष्य को कौन सा काम जरूर करना ही चाहिए? और कौन सा काम वर्जित (टालना, avoid) चाहिए? इन प्रश्नों…
सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्
संस्कृत श्लोक सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्।एतद्विद्यात्समासेन लक्षणं सुखदुःखयोः।। Roman (English) transliteration sarvaṃ paravaśaṃ duḥkhaṃ sarvamātmavaśaṃ sukham|etadvidyātsamāsena lakṣaṇaṃ sukhaduḥkhayoḥ|| पदच्छेद सर्वं परवशं दुःखं सर्वम् आत्मवशं सुखम्।एतत् विद्यात् समासेन लक्षणं सुख-दुःखयोः।। शब्दार्श सर्वम् – सर्व, all परवशम् – पराए के नियन्त्रण…
तयोर्नित्यं प्रियं कुर्यादाचार्यस्य च सर्वदा
संस्कृत श्लोक तयोर्नित्यं प्रियं कुर्यादाचार्यस्य च सर्वदा।तेष्वेव त्रिषु तुष्टेषु तपः सर्वं समाप्यते।। Roman (English) Transliteration tayornityaṃ priyaṃ kuryādācāryasya ca sarvadā|teṣveva triṣu tuṣṭeṣu tapaḥ sarvaṃ samāpyate|| श्लोक का पदच्छेद तयोः नित्यं प्रियं कुर्यात् आचार्यस्य च सर्वदा।तेषु एव त्रिषु तुष्टेषु तपः सर्वं…
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः
संस्कृत श्लोक अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्॥ रोमन लिप्यन्तरण abhivādanaśīlasya nityaṃ vṛddhopasevinaḥ|catvāri tasya vardhante āyurvidyā yaśo balam|| श्लोक का वीडिओ इस वीडिओ में इस श्लोक के बारे में समझाया है। यदि आप विस्तार से श्लोक के…