नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम् – श्लोक का हिन्दी English अनुवाद
यह श्लोक महाभारत, श्रीमद्भागवत् महापुराण और वायुपुराण के आरंभ में पढ़ा गया है। इस लेख में हम इस श्लोक के अर्थ हिन्दी तथा English भाषा में पढ़ेगे। साथ ही साथ श्लोक का पदविभाग और अन्वयार्थ भी पढ़ेगे। श्लोक नारायणं नमस्कृत्य…
यत्र देशेऽथवा स्थाने – श्लोक का अर्थ
पुरुष को किस स्थान अथवा गांव में (यत्र देशेऽथवा स्थाने) रहना नहीं चाहिए इस बात को इस श्लोक में बताया गया है। साथ ही ऐसे निषिद्ध स्थान पर रहनेवाले को पुरुषाधम (पुरुषों में अधम, नीच) कहा गया है।
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे – श्लोक अर्थ, अनुवाद, अन्वय
श्लोक शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥ पदच्छेद शरणागत-दीन-आर्त-परित्राण-परायणे।सर्वस्य आर्तिहरे देवि नारायणि नमः अस्तु ते॥ शब्दार्थ संस्कृतम् मराठी हिन्दी English शरणागत शरण आलेला जो शरण आया है Surrendered दीन गरीब गरीब Poor आर्त दुःखी दुखी Sad परित्राण रक्षण रक्षण Protection परायणे…
प्रहेलिका – वृक्षाग्रवासी न च पक्षिराजः त्रिनेत्रधारी न च शूलपाणिः
संस्कृत प्रहेलिका वृक्षाग्रवासी न च पक्षिराजःत्रिनेत्रधारी न च शूलपाणिः।त्वग्वस्त्रधारी न च सिद्धयोगीजलं च बिभ्रन्न घटो न मेघः॥ पदच्छेद वृक्ष-अग्रवासी न च पक्षिराजःत्रिनेत्रधारी न च शूलपाणिः।त्वक्-वस्त्रधारी न च सिद्धयोगीजलं च बिभ्रन् न घटः न मेघः॥ शब्दार्थ संस्कृतम् मराठी हिन्दी English वृक्षाग्रवासी…
अलक्ष्मीराविशत्येनं शयानमलसं नरम्। अनुवाद, शब्दार्थ , अन्वय
संस्कृत श्लोक अलक्ष्मीराविशत्येनं शयानमलसं नरम्।निःसंशयं फलं लब्ध्वा दक्षो भूतिमुपाश्नुते॥ English Transliteration (IAST) of the Shloka alakṣmīrāviśatyenaṃ śayānamalasaṃ naram|niḥsaṃśayaṃ phalaṃ labdhvā dakṣo bhūtimupāśnute|| श्लोक का पदच्छेद अलक्ष्मीः आविशति एनं शयानम् अलसं नरम्। निःसंशयं फलं लब्ध्वा दक्षः भूतिम् उपाश्नुते॥ श्लोक का शब्दार्थ…
यत्कर्म कुर्वतोऽस्य स्यात्परितोषोऽन्तरात्मनः। श्लोक का अर्थ, अनुवाद और स्पष्टीकरण॥
क्या आप किंकर्तव्यमूढ हो गए हैं? यानी आप को समझ नहीं आ रहा है कि क्या करे और क्या नहीं करें? मनुष्य को कौन सा काम जरूर करना ही चाहिए? और कौन सा काम वर्जित (टालना, avoid) चाहिए? इन प्रश्नों…
यं मातापितरौ क्लेशं सहेते सम्भवे नृणाम् – अर्थ और अनुवाद
यं मातापितरौ कष्टं सहेते सम्भवे नृणाम्। यह श्लोक मनुस्मृति का है। इस श्लोक के माध्यम से मनु मातापिता के महत्त्व को दिखाते हैं। यदि कोई पुत्र सौ साल तक भी अपने मातापिता की सेवा करता रहे, लेकिन जो तकलीफ उन्होंने…
सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्
संस्कृत श्लोक सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्।एतद्विद्यात्समासेन लक्षणं सुखदुःखयोः।। Roman (English) transliteration sarvaṃ paravaśaṃ duḥkhaṃ sarvamātmavaśaṃ sukham|etadvidyātsamāsena lakṣaṇaṃ sukhaduḥkhayoḥ|| पदच्छेद सर्वं परवशं दुःखं सर्वम् आत्मवशं सुखम्।एतत् विद्यात् समासेन लक्षणं सुख-दुःखयोः।। शब्दार्श सर्वम् – सर्व, all परवशम् – पराए के नियन्त्रण…
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः
संस्कृत श्लोक अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्॥ रोमन लिप्यन्तरण abhivādanaśīlasya nityaṃ vṛddhopasevinaḥ|catvāri tasya vardhante āyurvidyā yaśo balam|| श्लोक का वीडिओ इस वीडिओ में इस श्लोक के बारे में समझाया है। यदि आप विस्तार से श्लोक के…
न चौरहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि
संस्कृत श्लोक न चौरहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि।व्यये कृते वर्धत एव नित्यंविद्याधनं सर्वधनप्रधानम्॥ श्लोक का रोमन लिप्यन्तरण IAST na caurahāryaṃ na ca rājahāryaṃna bhrātṛbhājyaṃ na ca bhārakāri।vyaye kṛte vardhata eva nityaṃvidyādhanaṃ sarvadhanapradhānam॥ श्लोक का हिन्दी शब्दार्थ…