नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम् – श्लोक का हिन्दी English अनुवाद
यह श्लोक महाभारत, श्रीमद्भागवत् महापुराण और वायुपुराण के आरंभ में पढ़ा गया है। इस लेख में हम इस श्लोक के अर्थ हिन्दी तथा English भाषा में पढ़ेगे। साथ ही साथ श्लोक का पदविभाग और अन्वयार्थ भी पढ़ेगे। श्लोक नारायणं नमस्कृत्य…
यत्र देशेऽथवा स्थाने – श्लोक का अर्थ
पुरुष को किस स्थान अथवा गांव में (यत्र देशेऽथवा स्थाने) रहना नहीं चाहिए इस बात को इस श्लोक में बताया गया है। साथ ही ऐसे निषिद्ध स्थान पर रहनेवाले को पुरुषाधम (पुरुषों में अधम, नीच) कहा गया है।
निशान्ते पिबेद्वारि दिनान्ते च पयः पिबेत् – आयुर्वेद श्लोक पदच्छेद, शब्दार्थ, अन्वय, अनुवाद
श्लोक निशान्ते पिबेद्वारि दिनान्ते च पयः पिबेत्।भोजनान्ते पिबेत्तक्रं किं वैद्यस्य प्रयोजनम्॥ पदच्छेद निशान्ते पिबेत् वारि दिनान्ते च पयः पिबेत्।भोजनान्ते पिबेत् तक्रं किं वैद्यस्य प्रयोजनम्॥ शब्दार्थ संस्कृतम् मराठी हिन्दी English निशान्ते रात्रीच्या शेवटी (म्हणजे सकाळी) रात्रि के अन्त में (अर्थात सुबह)…
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे – श्लोक अर्थ, अनुवाद, अन्वय
श्लोक शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥ पदच्छेद शरणागत-दीन-आर्त-परित्राण-परायणे।सर्वस्य आर्तिहरे देवि नारायणि नमः अस्तु ते॥ शब्दार्थ संस्कृतम् मराठी हिन्दी English शरणागत शरण आलेला जो शरण आया है Surrendered दीन गरीब गरीब Poor आर्त दुःखी दुखी Sad परित्राण रक्षण रक्षण Protection परायणे…
अलक्ष्मीराविशत्येनं शयानमलसं नरम्। अनुवाद, शब्दार्थ , अन्वय
संस्कृत श्लोक अलक्ष्मीराविशत्येनं शयानमलसं नरम्।निःसंशयं फलं लब्ध्वा दक्षो भूतिमुपाश्नुते॥ English Transliteration (IAST) of the Shloka alakṣmīrāviśatyenaṃ śayānamalasaṃ naram|niḥsaṃśayaṃ phalaṃ labdhvā dakṣo bhūtimupāśnute|| श्लोक का पदच्छेद अलक्ष्मीः आविशति एनं शयानम् अलसं नरम्। निःसंशयं फलं लब्ध्वा दक्षः भूतिम् उपाश्नुते॥ श्लोक का शब्दार्थ…
यं मातापितरौ क्लेशं सहेते सम्भवे नृणाम् – अर्थ और अनुवाद
यं मातापितरौ कष्टं सहेते सम्भवे नृणाम्। यह श्लोक मनुस्मृति का है। इस श्लोक के माध्यम से मनु मातापिता के महत्त्व को दिखाते हैं। यदि कोई पुत्र सौ साल तक भी अपने मातापिता की सेवा करता रहे, लेकिन जो तकलीफ उन्होंने…
सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्
संस्कृत श्लोक सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्।एतद्विद्यात्समासेन लक्षणं सुखदुःखयोः।। Roman (English) transliteration sarvaṃ paravaśaṃ duḥkhaṃ sarvamātmavaśaṃ sukham|etadvidyātsamāsena lakṣaṇaṃ sukhaduḥkhayoḥ|| पदच्छेद सर्वं परवशं दुःखं सर्वम् आत्मवशं सुखम्।एतत् विद्यात् समासेन लक्षणं सुख-दुःखयोः।। शब्दार्श सर्वम् – सर्व, all परवशम् – पराए के नियन्त्रण…
भवति शिशुजनो वयोऽनुरोधाद्
कोई बालक अपनी उम्र की वजह से बड़े गुणी लोगों के लिए भी लाड़-प्यार के योग्य होता है। जैसे चन्द्रमा भी भगवान् शंकर के मस्तक पर केतकी के फूल के समान अपने बालस्वभाव की वजह से प्राप्त होता है।
सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता। अर्थ, अन्वय, हिन्दी अनुवाद
क्या आप महान् बनना चाहते हैं? संस्कृत सुभाषितकारों ने महान लोगों का लक्षण इस श्लोक में लिख दिया है। यदि हमने महान लोगों के इस लक्षण को समझ लिया, तो हम भी महान बन सकते हैं। श्लोक सम्पत्तौ च विपत्तौ…
अमन्त्रमक्षरं नास्ति नास्ति मूलमनौषधम्। अन्वय अर्थ हिन्दी अनुवाद
इस दुनिया में कोई भी अक्षर बेकार नहीं है, किसी भी पेड़ की जड़ ऐसी नहीं है कि जो दवा ना हो, कोई भी पुरुष बेकार नहीं है। वहाँ (सभी चीजों को) जोड़ने वाला दुर्लभ है।