यत्र देशेऽथवा स्थाने – श्लोक का अर्थ
पुरुष को किस स्थान अथवा गांव में (यत्र देशेऽथवा स्थाने) रहना नहीं चाहिए इस बात को इस श्लोक में बताया गया है। साथ ही ऐसे निषिद्ध स्थान पर रहनेवाले को पुरुषाधम (पुरुषों में अधम, नीच) कहा गया है।
सौहार्दं प्रकृतेः शोभा – प्रश्नोत्तर। NCERT Solutions Class 10 – Sauhardam PrakruteH Shobha
इस लेख में सौहार्दं प्रकृतेः शोभा (Sauhardam PrakruteH Shobha) इस पाठ के सभी प्रश्नों के उत्तर हैं। और साथ में प्रश्नों के उत्तरों को वीडिओ के माध्यम से भी समझाने का प्रयत्न किया है। Solution of question 1. एकपदेन उत्तरं…
शुचिपर्यावरणम् – प्रश्नोत्तर। NCERT Solutions Class 10 Shuchiparyavaranam
यदि आप शुचिपर्यावरणम् इस पाठ के सभी प्रश्नोत्तरों को पढ़ना चाहते हैं तो यह लेख आप के लिए है। इस लेख में NCERT द्वारा प्रकाशित शेमुषी इस पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित पाठ – शुचिपर्यावरणम् इस पाठ के सभी प्रश्न और उत्तर…
सूक्तयः – कक्षा 10 अनुवाद। Suktayah – Class 10 Translation
सूक्तयः (Suktayah) यह संस्कृत पाठ CBSE बोर्ड में निर्धारित पाठ्यपुस्तक शेमुषी (NCERT) में है। इस लेख में सूक्तय इस पाठ से सभी सूक्तियों का सरल भाषा में अनुवाद और स्पष्टीकरण है। आप को जिस सूक्ति का अर्थ जानना है, उस…
यत्कर्म कुर्वतोऽस्य स्यात्परितोषोऽन्तरात्मनः। श्लोक का अर्थ, अनुवाद और स्पष्टीकरण॥
क्या आप किंकर्तव्यमूढ हो गए हैं? यानी आप को समझ नहीं आ रहा है कि क्या करे और क्या नहीं करें? मनुष्य को कौन सा काम जरूर करना ही चाहिए? और कौन सा काम वर्जित (टालना, avoid) चाहिए? इन प्रश्नों…
यं मातापितरौ क्लेशं सहेते सम्भवे नृणाम् – अर्थ और अनुवाद
यं मातापितरौ कष्टं सहेते सम्भवे नृणाम्। यह श्लोक मनुस्मृति का है। इस श्लोक के माध्यम से मनु मातापिता के महत्त्व को दिखाते हैं। यदि कोई पुत्र सौ साल तक भी अपने मातापिता की सेवा करता रहे, लेकिन जो तकलीफ उन्होंने…
न चौरहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि
संस्कृत श्लोक न चौरहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि।व्यये कृते वर्धत एव नित्यंविद्याधनं सर्वधनप्रधानम्॥ श्लोक का रोमन लिप्यन्तरण IAST na caurahāryaṃ na ca rājahāryaṃna bhrātṛbhājyaṃ na ca bhārakāri।vyaye kṛte vardhata eva nityaṃvidyādhanaṃ sarvadhanapradhānam॥ श्लोक का हिन्दी शब्दार्थ…
भवति शिशुजनो वयोऽनुरोधाद्
कोई बालक अपनी उम्र की वजह से बड़े गुणी लोगों के लिए भी लाड़-प्यार के योग्य होता है। जैसे चन्द्रमा भी भगवान् शंकर के मस्तक पर केतकी के फूल के समान अपने बालस्वभाव की वजह से प्राप्त होता है।
विचित्रे खलु संसारे नास्ति किञ्चिन्निरर्थकम्। अर्थ, अन्वय, हिन्दी अनुवाद
विचित्रे – विचित्र स्वरूप वाले खलु – सचमुच संसारे – दुनिया में न – नहीं अस्ति – है किञ्चित् – कोई भी निरर्थकम् – व्यर्थम्। बेकार अश्वः – घोटकः। वाजी। हयः। चेत् – यदि धावने – दौड़ने में वीरः –…
सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता। अर्थ, अन्वय, हिन्दी अनुवाद
क्या आप महान् बनना चाहते हैं? संस्कृत सुभाषितकारों ने महान लोगों का लक्षण इस श्लोक में लिख दिया है। यदि हमने महान लोगों के इस लक्षण को समझ लिया, तो हम भी महान बन सकते हैं। श्लोक सम्पत्तौ च विपत्तौ…