यं मातापितरौ क्लेशं सहेते सम्भवे नृणाम् – अर्थ और अनुवाद
संस्कृत श्लोक
यं मातापितरौ क्लेशं सहेते सम्भवे नृणाम्।
न तस्य निष्कृतिः शक्या कर्तुं वर्षशतैरपि॥
Roman (English) transliteration
yaṃ mātāpitarau kleśaṃ sahete sambhave nṛṇām|
na tasya niṣkṛtiḥ śakyā kartuṃ varṣaśatairapi||
श्लोक का पदच्छेद
यं मातापितरौ क्लेशं सहेते सम्भवे नृणाम्।
न तस्य निष्कृतिः शक्या कर्तुं वर्षशतैः अपि॥
श्लोका हिन्दी और अंग्रेजी शब्दार्थ
संस्कृतम् | हिन्दी | English |
यम् | जिस | Which |
मातापितरौ | मातापिता | Parents |
क्लेशम् | कष्ट को, तकलीफ को | Suffering |
सहेते | सहते हैं | Endure, bear |
सम्भवे | जन्म के समय | At the time of birth |
नृणाम् | मनुष्यों के | Of men (here babies) |
न | नहीं | Not |
तस्य | उसकी | It’s |
निष्कृतिः | निराकरण, क्षालन | Eliminate, nullify |
शक्या | संभव, मुमकिन | Possible |
कर्तुम् | करना | To do |
वर्षशतैः | सौ वर्षों में | By hundred years |
अपि | भी | Also, even |
श्लोक का अन्वय
मातापितरौ यं कष्टं नृणां सम्भवे सहेते, तस्य निष्कृतिः वर्षशतैः अपि कर्तुं शक्या न।
श्लोक का हिन्दी अनुवाद
मातापिता जिस कष्ट को मनुष्य के जन्म के समय सहते हैं, उसका निराकरण सौ वर्षों में भी करना संभव नहीं है।
English translation of the Shloka
It is not possible even for hundred years to repay the suffering which parents endure at the time of humans’ birth.
श्लोक का स्पष्टीकरण
यं मातापितरौ कष्टं सहेते सम्भवे नृणाम्। यह श्लोक मनुस्मृति का है। इस श्लोक के माध्यम से मनु मातापिता के महत्त्व को दिखाते हैं। यदि कोई पुत्र सौ साल तक भी अपने मातापिता की सेवा करता रहे, लेकिन जो तकलीफ उन्होंने पुत्र को जन्म देते समय सही थी उससे तो पुत्र उबार नहीं सकता।
पिता को भी महत्त्व देना
प्रायः लोग पुत्रजन्म के लिए केवल माता को महत्त्व देते हैं। क्योंकि वह माता ही होती है जो प्रसववेदना को झेलती है। परन्तु लोग पिता को भूल जाते हैं।
यह तो मान्य है कि माता को प्रसव के समय बहुत ज्यादा वेदना होती है। परन्तु यह भी बात सत्य है कि जितनी शारीरिक पीड़ा माँ को होती है, उतने ही मानसिक दबाव में पिता होते हैं।
मनुस्मृतिकार ने इस श्लोक के माध्यम से पिता को भी समान दर्जा दिया है।
ज्ञान बांटने से बढ़ता है।
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